वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

छोटे लक्ष्य के लिए बड़े नुकसान की तरफ बढ़ते सरकारी कदम----आशीष कुमार आशी

पिछले काफी समय से देश के अंदर कुछ न कुछ नया और कुछ अजीब सा प्रतीत होने वाली हरकते हम कह सकते है कि हमारी सरकार द्वारा की जा रही है चाहे वो किसी प्रदेश की हो या फिर केंद्र की,अगर हम 2014 से आज तक देखे तो  आज देश मे सत्तासीन लोगों से  सवाल खड़ा करना या पूछने में डर सा महसूस होता है। सबसे अधिक में ये रोहित वेमुला की हत्या के बाद इन चीज को महसूस कर रहा हूँ , निश्चित रूप से मेरी राय आपकी राय से भिन्न हो सकती है उस विचारों की भिनता का मै इस देश की बेहतरी के लिए सम्मान करता हूँ,ये कोई रोहित की एक घटना नही परन्तु जवाहरलाल विश्वविद्यालय से ले कर गोरी लंकेश कलबुर्गी जैसे लोगो की हत्या इनमे से एक है, अगर हम ये देखे की ये लोग कोन थे तो साफ साफ नजर आता है कि ये कोई पार्टी विशेष के नही बल्कि समाज मे जो हो रहा है उन गलत विचारों का विरोध तर्कों के साथ  करते है, परन्तु अब सवाल ये उठता है कि आखिर जो तर्क के साथ सरकार से और इस गली सड़ी व्यवस्था से सवाल पूछता है उन लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है, क्या समाज मे ये हत्या करने वाले असमाजिक तत्व रातों रात पैदा हो जाते है या फिर किसी बड़ी साजिश के तहत एक विशेष किस्म की विचारधारा को खतरे में देख इन लोगों को भाड़े पर खरिद कर प्रगतिशील लोगों की हत्या करवाई जाती है, पूरे देश के अंदर यही माहौल है बॉलीवुड से लेकर हर जगह किसी भी प्रोग्रेसिव सोच को दबाने की कोशिश रहती है, पिछले 4 सालों के अध्ययन अगर करे तो ऐसे कितने ही उदाहरण देखने को मिलते है, साथियों देखने मे ऐसा आ रहा है कि ये एक चैन की तरह काम करता है जोकि सिर्फ एक राज्य में नही बल्कि पूरे देश के अंदर ये मानसिकता फैला रहे है, अब मेरे कुछ बुद्धिजीवी मुझसे ये भी उम्मीद करते है कि आप पिछले 70  वर्षों की भी बात करो, परन्तु में मौजूदा समय मे पैदा हुआ हूँ,और वर्तमान में सवाल करना मेरा हक़ है , परन्तु यदि आप अपनी जुबान मेरे मुँह में डालकर सवाल करवाना चाहते हो तो वो किस हद तक मान्य है, सरकार की चमचागिरी करने वाले कुछ लोगों से मेरी चर्चा होती है वो बिल्कुल भी मौजूद स्थिति पर बात नही करते।
हद तो इतनी हो गई कि  सरकार इतनी छोटी मानसिकता पर आ गई कि एक गांधी नेहरू परिवार को नीचा दिखाने के लिए और नेहरू के समकक्ष कोई लीडर दिखाने के लिए साहब ने 3000  करोड़ खर्च डाले, ये कोई पटेल के प्रति उनका सम्मान नही है,जिनकी आप प्रतिमा बना रहे हो उनकी विचारधारा की तो आप हर मिनेट धाजियँ उड़ाते फिरते हो, पटेल ने देश को एक सूत्र में बांधा था जिस शख्स ने आप की विचारधारा वाले संगठन को बंद कर दिया , अगर आप सच मे पटेल का सम्मान करते हो तो क्यों नही त्याग कर देते संघी विचारो का और पटेल के पदचिन्हों पर चलो , आपके हर कृत्य में देश को तोड़ने  की मंशा झलकती है आज अगर् पटेल होते तो उनको आपकी ये हरकत कभी भी पसंद नही आती की आप हजारो हजार आदिवासियों को बर्बाद करके उनकी प्रतिमा बनाओ, ये प्रतिमा आपकी एक जिद्द थी कि गांधी नेहरू परिवार के समकक्ष कोई खड़ा किया जा सके, और सरदार पटेल जी को पूरी दुनिया जानती है कि वो क्या थे, दूसरा आपने और आपके मुख्यमंत्रियों ने ये जो   शहरों के नाम बदलने की मुहिम छेड़ी है ये भी एक निंदनीय काम है,आप डायरेक्ट और इनडाइरेक्ट रूप से नफरत  फैलाने के औजार ढूंढ लेते हो, परन्तु में आपको भी ओर देश की जनता को आगह करना चाहता हूँ कि छोटे लक्ष्य के लिये बड़े नुकसान की तरफ मत बड़ो,
धन्यवाद
आशीष कुमार आशी

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