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Showing posts from March, 2020

वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

दिल शिकन से भी हम दगा नहीं करते==आशीष कुमार आशी

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दिल का हम अपने  सौदा नहीं  करते दिल शिकन से भी हम दगा नहीं करते। वो जफा करे ये उसकी मर्जी हम बेवफा से भी गिला नहीं करते हम बचाते है हवा में ,उंगलियों से चिराग, घर जलाने पर भी चिरागों से  कीना नहीं करते हम करते है मोहब्बत बस निभाने को दगा बाजी की कभी रजा नहीं करते दिल जलाते है अपना की उजाला ये दुनिया देखे दिल जला कर किसी का, घर अपना मुनव्वर नहीं करते दिल शिकन== दिल तोड़ने वाले कीना==रंजिश रजा= इच्छा मुनव्वर==रोशन आशीष कुमार आशी 7018777397

पुलिस अधीक्षक जिला सिरमौर के नाम खुला पत्र= दलित शोषण मुक्ति मंच

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सेवा में, पुलिस अधीक्षक जिला सिरमौर, हिमाचल प्रदेश, स्थित नाहन विषय :_____ खुला पत्र महोदय ,          निवेदन इस प्रकार से है कि     आज पूरी दुनिया कोराना जैसी महामारी से मुकाबला कर रही है जिसमें देश और हमारा प्रदेश और जिला सिरमौर भी अछूता नहीं है, हम जिला प्रशासन का इस आपदा से निपटने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हैं। परन्तु  जब हम इस  मुश्किल दौर से गुजर रहे है फिर भी कुछ लोग अपनी संकीर्ण मानसिकता का उदाहरण पेश कर रहे हैं जिसका अभी जीता जागता उदाहरण हमारे जिला में एक। समाचार एजेंसी के माध्यम से संज्ञान में आया , आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि हाल ही में राजगढ़ उपमंडल में  जब एक दलित समाज की लड़की और उसकी माता को covid19 की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर स्थानीय उच्च जाति के लोगों द्वारा प्रताड़ित किया  जा रहा है,श्रीमान जी एक तरफ तो प्रशासन को लड़की और उसकी माता का इस महामारी से लड़ने के लिए किए गए सहयोग के लिए प्रोत्साहित  करना चाहिए था कि उन्होंने एक जागरूक नागरिक कि तरह इस बीमारी से लड़ने के लिए स्वास्थ्य ...

इस मुश्किल दौर में मजदूरों को 5000 रुपए अगले तीन महीने तक दे सरकार== बिजेंद्र मेहरा

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सीटू राज्य कमेटी ने हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की है कि कोरोना महामारी के मध्यनजर किये गए लॉक डाउन व कर्फ्यू की स्थिति में  प्रदेश में कार्यरत संगठित व असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लाखों मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा दी जाए तथा उनकी आर्थिक व राशन के रूप में उनकी मदद सुनिश्चित की जाए।                   सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न  परिस्थिति से सबसे ज़्यादा नुकसान मजदूर वर्ग को ही हुआ है। इस स्थिति में मजदूर भारी आर्थिक व मानसिक परेशानी में हैं। रातोंरात उनका रोजगार खत्म हो गया है। हमीरपुर के नादौन में लगभग भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके उत्तर प्रदेश निवासी एक मजदूर ने आत्महत्या करने की कोशिश की है। इस से साफ हो रहा है कि मजदूरों की स्थिति आने वाले दिनों में और बुरी होने वाली है। जेब में पैसा न होने के कारण प्रदेश में सैंकड़ों मजदूर पैदल मार्च करके घरों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। ऐसे अनेकों  उदाहरण कांगड़ा-पठानकोट,मैहतपुर-नंगल,कालाअंब-हरियाणा,बद्दी-चं...

माना के हम तुमसे फासले बना रहे है....ये दगा नहीं हम सच्ची मोहब्बत निभा रहे है....आशीष कुमार आशी

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माना के मुश्किल दौर में हम तुमसे फासले बना रहे है, ये दगा नहीं है हम सच्ची मोहब्बत निभा रहे है, दस्तूर उल्टा हो चला है कुछ मोहब्बत निभाने का इस दौर में हम तुम संग खुद को बचा रहे है। जो टूटे है कुछ पत्ते वो फिर से निकल आएगे शर्त बस इतनी है की हम जड़े कितनी बचा पाएंगे। ये दौर है मुश्किल का हम अगर इससे निकल जाएं आप भी मिलने आना हमसे हम भी मिलने आपके घर आएं। राज अपने न हमसे कुछ छुपाना तुम कहां से आए किससे मिलके आए ये बताना तुम। राज अपने अगर आज तुम छुपाओंगे इस बवंडर में तुम सबको उड़ा ले जाओगे बना कर रखोगे अगर दूरी तुम हमसे तभी तुम हमसे और देश से सच्ची मोहब्बत निभाओगे आशीष कुमार आशी

संसार में जब मानवता संकट में होती हैं, धर्म के ठेकेदार मैदान छोड़कर छुप जाते हैं, विज्ञान लड़ता है

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संसार में जब मानवता संकट में होती हैं, धनी व धर्म के ठेकेदार मैदान छोड़कर छुप जाते हैं, विज्ञान लड़ता है .. आज कोरोना के कारण मानव समाज मुश्किल में है. हर देश में मेडिकल क्षेत्र व रिसर्च के वैज्ञानिक देवदूत बन कर मानवता की सेवा कर रहे हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर आम व्यक्ति से लेकर धर्म के उन ठेकेदारों की भी जान बचाने में लगे हुए हैं जो हर दिन विज्ञान व वैज्ञानिक को नकारते व दुत्कारते हैं, जो हर पल वैज्ञानिक सोच की धज्जियां उड़ाते हुए धार्मिक अंधविश्वासों को स्थापित करते हैं.  इन्हें अच्छी तरह पता है कि रोग के ऐसे भयावह प्रकोप में उन्हें काल्पनिक ईश्वर बचाने नहीं आएगा और वैज्ञानिक ही उनको जीवन दान देंगे.             वे कितने महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर पल भर में लाखों लोगों को मार देने वाली बीमारियों के टीके इजाद किए वरना यह धरती मरघट बन गई होती.          भारत में हर साल ऐसे धार्मिक स्थलों को सरकार व कारपोरेट घरानें अरबों रुपये का अनुदान देते है. श्रद्धालुओं से करोड़ों रुपयों का दान मिलता है...

नाहन में पीड़ित बच्ची के परिजनों को न्याय दिलाने को हर संभव मदद करेंगे==दलित शोषण मुक्ति मंच

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दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर मंच के संयोजक आशीष कुमार ने जारी एक प्रेस बयान में अभी हाल ही में नाहन में एक 7 साल की बच्ची से हुए दुष्कर्म की।कड़ी निन्दा की है। आशीष कुमार ने कहा कि।देवभूमि कहे जाने वाले प्रदेश और शांत जिला सिरमौर में भी इस तरह की।घटनाएं बढ़ रही है। अभी  2 दिन पहले ही निर्भया के।दोषियों को फांसी हुई परन्तु उन सबसे सबक ना लेते हुए भी दिन प्रतिदिन महिलाओं और छोटी बच्चियों के साथ इस तरह की घटनाएं घट रही है। प्रदेश के अंदर इस तरह की।घटनाएं प्रदेश और जिला।की।कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है।  एमबीएम न्यूज की।ख़बर के।अनुसार। लड़की।अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखती है। परन्तु घटना चाहे किसी भी समाज की लड़की।के।साथ हों वो बर्दाश्त करने लायक नहीं है । परन्तु अधिकतर मामलों में ये देखा गया की।इस तरह की घटनाएं ज़्यादातर समाज में हाशिए पर पड़े लोगो  के।साथ और उनके परिजनों को।साथ होती।रहती है। ये घटना मात्र एक नाहन क्षेत्र की ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और जिला के।लिए एक काले ध्ब्बे की तरह है , इस घटना ने पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया है।  साथ ही दलित शोष...

33 करोड़ देवी देवताओं और उनके सेनापति पर भी भारी।पड़ा Covid--19

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कोरॉना जैसी स्थिति सवाल खड़ा करती है दैविक शक्तियों पर। ==================  ये महज किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है बल्कि हम सर्व धर्मो की।आस्था का सम्मान करते हुए उन धर्म के ठेकेदारों से सवाल पूछने का साहस कर रहे है जिन्होंने धर्म को धंधा बना कर आज तक गलत प्रचारों से। अपने हजारों। अनुयायियों की भावनाओ का मजाक बना कर रखा, कोविड 19 जैसे वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए हर कोई अपने अपने नुस्खे बता रहे है , परन्तु आज पूरी ।दुनिया में ये एक वैश्विक संक्रमण है जिसने मंदिर , मस्जिदों , और चर्चो आदि पर ताले जडवा दिए ।  देश और विदेशों में बड़े बड़े मंदिरों मठाधीशों, मौलवियों के हाथ खड़े हो गए है , जो लोग झाड़ू फूक करके अंधविश्वासिों  के चित्सक बने फिरते थे आज उन्हीं मंदिर मस्जिदों में ताले जड़े जा रहे है, न अब कालों के काल महादेव नजर आ।रहे है और नहीं कोई देव गुर जो बात बात पर चावल और सरसों के दाने से इलाज करने वालों का कही अता पता है , विश्वगुरु बताने वाले देश जिनके पास देवी देवताओं की फौज भी भारतीय सेना से अधिक और भारतीय डॉक्टरों से ज़्यादा है आज वही 33 करोड़ देवी...

बहुसंख्यक लोग जो घर से काम नहीं कर सकते और रोज की कमाई से गुजर बसर करते है उनके लिए सरकार ने क्या किया

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने बहुप्रचारित आपात संबोधन में कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए सरकार की तैयारी और लोगों की मदद के लिए की गई कार्यवाहियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा। पीएम ने जो संबोधन जनता के सामने रखा है उसमें प्रतीकात्मकता के अलावा कोई भी ठोस था, भारत के बहुसंख्यक लोग जो घर से काम नहीं कर सकते और रोज की कमाई से गुजर करते हैं, उनके सामने आने वाले संकट को कम करने के लिए सरकार क्या कर रही है कोरोनोवायरस से पहले ही वे मौजूदा आर्थिक मंदी का खामियाजा भुगत रहे हैं। यह स्पष्ट है कि बंद के कारण गरीबों और हाशिए पड़े लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। हाशिये पर पड़े इन तबकों को सरप्लस अनाज उपलब्ध कराने के बारे में सरकार क्या कर रही है? केरल में एलडीएफ सरकार ने न केवल चिकित्सा संकट को दूर करने का बीड़ा उठाया है, बल्कि गरीबों की पीड़ा को कम करने के लिए राहत उपायों की भी घोषणा की है। केरल ने आज 20000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है, एक महीने के लिए सभी को मुफ्त अनाज उपलब्ध करवाया जाएगा। पेंशनभोगियों, ऑटो और बस मालिकों के लिए भी र...

निर्माण मजदूर 20अप्रैल को करेंगे प्रदर्शन ==भूपेंद्र सिंह

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सीटू से सबन्धित हिमाचल प्रदेश निर्माण मज़दूर फेडरेशन की स्टेट कमेटी की मीटिंग आज कामरेड तारा चन्द भवन मंडी में आयोजित की गई।मीटिंग की अध्यक्षता फेडरेशन के राज्य अध्य्क्ष जोगिंदर शर्मा ने की जिसमें सीटू राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा औऱ महासचिव प्रेम गौतम सहित सभी जिलों के 35 सदस्यों ने भाग लिया। बैठक में निर्णयों की जानकारी देते हुए महासचिव भूपेंद्र सिंह ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में मनरेगा औऱ निर्माण मज़दूरों जिनमें भवन निर्माण तथा फोर लेन निर्माण कार्य में लगे हज़ारों मज़दूरों का कम्पनियां शोषण कर रही हैं। मनरेगा योजना के लिए इस वर्ष केंद्र सरकार से पर्याप्त धनराशी न आने से बहुत कम दिनों का काम मिला है।हिमाचल सरकार ने भी अपने बजट में मनरेगा मज़दूरों के वेतन में वृद्धि नहीं कि है।इसलिये आज की बैठक में निर्णय लिया गया कि मनरेगा में निर्धारित 120 दिनों का रोज़गार लेने के लिए अप्रैल माह में अगले साल के लिए लिखित में आवेदन करने का अभियान चलाया जाएगा।इसके अलावा मनरेगा मज़दूरों को हिमाचल के अन्य मज़दूरों के बराबर 275 रु दिहाड़ी की मांग को लेकर मई माह में शिमला में विशाल रैली आयोजित की जायेगी। सी...

मनरेगा मजदूरों को कौशल विकास के बजाए एक सौ बीस दिन का दो रोजगार:____सीटू

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सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को निराशाजनक करार दिया है। बजट में इन्वेस्टर मीट का ढिंढोरा पीट कर नए उद्योग स्थापित करके लाखों करोड़ रुपये इकट्ठा करने की शेखी बघारने वाली प्रदेश सरकार की घोषणाओं में उद्योगों की बुनियाद मजदूर वर्ग हाशिये पर है। इस बजट में मजदूरों व कर्मचारियों की पूरी तरह अनदेखी की गई है। मजदूरों व कर्मचारियों के वेतन से लेकर आउटसोर्स,कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी,नई पेंशन नीति,मनरेगा की दिहाड़ी आदि सवालों पर यह बजट लगभग खामोश है। मजदूरों की दिहाड़ी में पच्चीस रुपये,आंगनबाड़ी वर्करज व हेल्परज़ के वेतन में केवल पांच सौ व तीन सौ रुपये,आशा कर्मियों व मिड डे मील कर्मियों के वेतन में केवल पांच सौ व तीन सौ रुपये,जल रक्षकों के वेतन में तीन सौ रुपये तथा पंचायत चौकीदारों के वेतन में केवल पांच सौ रुपये की आंशिक बढ़ोतरी प्रदेश सरकार का टोकेनिज़म है व उनके साथ भद्दा मज़ाक है। बजट बहुत ही हास्यास्पद है। सरकार ने घोषणा की है कि मनरेगा में सौ दिन का कार्य पूरा करने वाले मजदूरों को कौशल विकास "उन्नति" की सुविधा दी जाएगी परन्...

*पुरानी पेंशन योजना में खोट तो विधायकों-सांसदों को उसका लाभ क्यों..? ==पंकज तन्हा

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*पुरानी पेंशन योजना में खोट तो विधायकों-सांसदों को उसका लाभ क्यों..?*  *सरकारें, नई पेंशन योजना के सामाजिक-आर्थिक दुष्परिणामों को समझें*  *पुरानी पेंशन योजना हो बहाल, नहीं तो संघर्ष का बिगुल बजाएं कर्मचारी*  *लेख : पंकज तन्हा*  *नाहन।* विधायकों-सांसदों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ क्यों..। कितना अजीब लगता है जनसेवा के नाम पर राजनीति में आए विधायकों, सांसदों को चाहिए मोटी तनख्वाह, कई तरह के भत्ते। अपने परिजनों तक के लिए मुफ्त सुविधाएं। शपथ लेते ही पेंशन का अधिकार। *वो भी तब, जब नेता, जनसेवा के लिए राजनीति में आने का दम भरते हैं। दूसरी ओर एक सरकारी कर्मचारी।* जो उम्र का एक चौथाई हिस्सा पढ़ाई में गुजार देता है। उसके बाद कुछ साल नौकरी पाने की जद्दों जहद में बीत जाते हैं। फिर नौकरी मिलती भी है तो अनुबंध पे..। कई साल बाद होता है नियमित। पूरी जवानी मेहनत से काम करता है। अंत में अब मिल क्या रहा है नई पेंशन योजना। जिसमें उसे व उसके परिवार को न तो आर्थिक सुरक्षा मिल रही है और न ही सामाजिक सुरक्षा। आज पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व केरल को छोड़कर पूरे देश में नई पेंशन य...

पशुपालन विभाग में निकली भर्ती में एक पोस्ट भी SC ,ST के लिए नहीं

*पशुपालन विभाग में चपरासी की भर्ती में रोस्टर लागू न करने पर रोष*  *दलित शोषण मुक्ति मंच ने लगाया भेदभाव का आरोप, हाईकोर्ट जाने की धमकी*  *नाहन।* दलित शोषण मुक्ति मंच ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति वर्ग से भेदभाव करने का आरोप लगाया है। मंच के पदाधिकारियों का आरोप है कि सरकार विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए आरक्षित सीटें नहीं रख रही हैं। मंच के जिला संयोजक प्रेस को दिए एक बयान में कहा कि सरकार ने पशुपालन विभाग में पशुपालन परिचारक (चपरासी) की भर्ती के लिए जो सूची जारी की गई है उसमें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए कोई भी सीटे नहीं दर्शाइ गई है। जो कि इस समुदाय के साथ सीधे तौर पर नाइंसाफी है। इससे यह समाज चिंतित है। उन्होंने कहा कि इस पंचायत विभाग व आईपीएच विभाग में रोस्टर नहीं लगाया गया है। आशीष कुमार ने कहा कि सरकार ने बैकलॉग की सीटें काफी समय से पहले ही नहीं भरी जा रही है। यही नहीं सहायक प्रोफेसर के पद के लिए 13 पवाइंट रोस्टर लागू किया जा रहा है। जिससे अनुसूचित जाति वर्ग बेहद चिंतित है। जिला संयोजक आशीष कुमार ने चेतावनी दी कि सरकार एसस...