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Showing posts from September, 2020

वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

साम्प्रदायिकता का सवाल और भगतसिंह। शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिन पर क्रन्तिकारी स्मरण।

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 साम्प्रदायिकता का सवाल और भगतसिंह। शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिन पर क्रन्तिकारी स्मरण। आज के दौर में यह समीचीन होगा कि शहीद भगतसिंह का जन्म दिवस साम्प्रदायिकता विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाय. इस सुझाव के पीछे दो वज़ह हैं. एक वज़ह तो यह है कि, जैसा कि हम सभी जानते हैं, आज साम्प्रदायिकता चरम पर है. छद्म रास्त्रीयता की मुद्रा अपना कर वह अति आक्रामक ढ़ंग से काम कर रही है, जिसके फलस्वरूप देश के अन्दर सामाजिक भाईचारा, धर्म निरपेक्षता का आदर्श, प्रजातांत्रिक मूल्य तथा मानवाधिकार सभी के लिए संकट पैदा हो गया है. १९वीं सड़ी के आठवे दशक में फ्रांस के जनवादी नेता गम्बेत्ता ने कहा था “पादरीवाद, यही है दुश्मन”. इस कथन में पादरीवाद के स्थान पर साम्प्रदायिकता शब्द को रख दीजिये और यह भारत के लिए सटीक हो जाता है. दूसरी वज़ह यह है कि १९२० के दशक में जब भगतसिंह क्रान्ति के पथ पर अग्रसर थे देश साम्प्रदायिकता की आग में जल रहा था. उस दौर में भगतसिंह ने दृण साम्प्रदायिकता विरोधी रुख अपनाया. उसके कारणों का विश्लेषण किया तथा उससे मुक्ति के उपायों पर भी विचार किया. साम्प्रदायिकता के कट्टर विरोधी भगतसिंह के जन...

"Sacrifice " Written by : Anshula Thakur

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 "Sacrifice " Written by : Anshula Thakur 💕 A short story about a women's love and sacrifice in life ....... She went to the doctor and reports said that she had cancer. She was in an emotional trauma that she have to fight with the dangerous disease like cancer !!!!  "It's Glioblastoma, Ashneer ! I'm sorry but this kinda cancer is still a mystery to medical science . If you will go through the surgery.... you can live your life for maximum 2 years as the medical history of this sort of cancer says,  and if you won't go through the surgery... you can't live more then 6 months ! I'm sorry dear but I'm helpless ." Doctor said and left the room... Ashneer was sitting like a statue there , feelingless and she was just thinking about the baby who is inside her womb.  She decided not to go through surgery as... Medicines and all procedure can damage the health of her baby .  "If I will not be there some day Arsh ! What will you do ?...

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किये गए

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 ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किये गए । इसमें हज़ारों मजदूर शामिल हुए। मजदूर संगठन सीटू के नेतृत्व में शिमला के डीसी ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इसके बाद डीसी शिमला के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया जिसमें मांग की गई कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों पर रोक लगाई जाए। चबालीस श्रम कानून के बदले चार लेबर कोडों की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण  पर रोक लगाई जाए। पचास वर्ष की आयु अथवा तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए।            शिमला के डीसी ऑफिस में हुए मजदूरों के प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,महासचिव प्रेम गौतम,हिमाचल किसान सभा राज्य महासचिव डॉ ओंकार शाद,सीटू उपाध्यक्ष जगत राम,डीवाईएफआई राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बलबीर पराशर, सीटू जिला सचिव बालक राम,सुरेंद्र बिट्टू,मदन,दलीप,दर्शन लाल,भूप सिंह,दीप राम,राजेन्द्र राजू,...

*एक सभ्य समाज का सपना* :__ अंशुला ठाकुर

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 *एक सभ्य समाज का सपना*  *समाज का अधूरेपन को लेकर एक कहानी स्वरचित*: अंशुला ठाकुर 💕 अंधेरा घिर गया था मगर गाड़ी खराब हो गई और अब एक दूजे का हाथ थामे चलना शुरू किया, इस उम्मीद में कि आगे कहीं कोई मदद मिल जाए । "इतनी रात घर से मत निकला करो ", माँ के उपदेशात्मक स्वर मेरे जहन में गूंज रहे थे, माँ हमेशा सही कहती है ,बस हम ही नहीं सुनते उनकी बात कभी । अब डर और ठंड से बुरा हाल हो रहा था तो माँ ही याद आ रहीं थीं मुझे।  मेरे मंगेतर साथ थे और परेशान भी मगर फिर भी  बिना कुछ कहे चले जा रहे थे , सामने थोड़ी रोशनी दिखाई दी तो हमें थोड़ा हौसला हुआ।  थोड़ा और तेज़ी से आगे बढ़े तो देखा वहां एक चाय का स्टाॅल था , बाकी सब बंद हो गया था, उस चाय वाले से पास किसी ठिकाने का पूछा तो वो बोला, "आगे और घना जंगल है साहब, मैडम भी साथ है ,आप बुरा ना मानो तो मेरे घर चल दो । छोटा है मगर सुरक्षित है , सुबह होते ही आपको कोई और मदद भी मिल ही जाऐगी,रोशनी की बात अलग होती है साहब। " मेरा डर दूर हो गया था और मैं बस यही सोच रही थी कि इंसानियत अभी भी बाकी है, काश हर इंसान में इतनी इंसानियत होती तो समाज...

दलित शोषण मुक्ति मंच के प्रदर्शन के बाद हरकत में आया विपक्ष

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 नौकरियों में एससी-एसटी को आरक्षण न देने पर बिफरा विपक्ष किया वाकआउट माकपा विधायक राकेश सिंघा ने नियम 130 के तहत चर्चा के लिए रखा प्रस्ताव ।  हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ। गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही किन्नौर के कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने सदन में खड़े होकर अनुसूचित जातियों और जनजातियों को नौकरियों में आरक्षण न मिलने, शोषण होने, एससी, एसटी कंपोनेंट का पैसा खर्च न होने के विषय पर सदन में नियम 67 में चर्चा मांगी। स्पीकर ने इससे इंकार किया तो सदन में हंगामा हो गया। इस बीच सत्तापक्ष और विपक्ष में नोकझोंक हुई। हंगामा बढ़ता गया तो विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया। हालांकि, वॉकआउट के बाद कांग्रेस विधायक अंदर आए। इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और संसदीय कार्य मंत्री ने भी इसे निंदनीय बताया। इसके बाद विधानसभा में प्रश्नकाल साढ़े 11 बजे ही शुरू हो पाया। इसे विपक्ष की गैर हाजिरी में ही शुरू किया गया। कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि सदन में एक तिहाई विधायक एससी और एसटी वर्ग से हैं। हमारे साथ नियम 67 में स...

पेरियार को इंक़लाबी सलाम।

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 #आज_पेरियार_का_जन्मदिन_है । 17sept 1879 पेरियार को इंक़लाबी सलाम।      आज ई.वी. रामास्वामी यानि पेरियार का जन्मदिन मनाया जा रहा है. पेरियार ने ताजिंदगी हिंदू धर्म और ब्राह्मणवाद का जमकर विरोध किया. उन्होंने तर्कवाद, आत्म सम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर जोर दिया. जाति प्रथा का घोर विरोध किया. यूनेस्को ने अपने उद्धरण में उन्हें ‘नए युग का पैगम्बर, दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात, समाज सुधार आन्दोलन का पिता, अज्ञानता, अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ का दुश्मन’ कहा.  "ईश्वर की सत्ता स्वीकारने में किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ विश्वास की जरुरत पड़ती है. ये स्थिति उन्हीं के लिए संभव है जिनके पास तर्क तथा बुद्धि की शक्ति हो."     ----- पेरियार

*संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए विधान सभा चलो - कोली समाज की एकता का परिचय दें.......उत्तम सिंह कश्यप*

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 *संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए विधान सभा चलो - कोली समाज की एकता का परिचय दें* अखिल भारतीय कोली समाज के प्रदेश अध्यक्ष  श्री उत्तम सिह कश्यप जी ने जारी एक पप्रेस बयान में समस्त अनुसूचित वर्ग से ये अपील की है कि        देश और प्रदेश में  मनुवादी ताकतें डॉ. बी. आर. अम्बेडकर जी द्वारा अनुसूचित जातियों, जन जातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए आरक्षित विशेषाधिकारों को समाप्त करके मनुस्मृति के आधार पर संविधान के प्रावधानों को बदलने में निरन्तर प्रयासरत है ।        यह मान कर चलिए कि यदि हम इस विषय को लेकर अब भी गंभीर ना हुए, तो हमारे बच्चों (जो फिलहाल इस गंभीर और ज्वलंत मुद्दे  से बेपरवाह लग रहे है) को आने वाले समय में जातीय आधारित सामाजिक उत्पीड़न के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे ।  भले ही आप और हम आर्थिक रूप से साधन संपन हों या हो जाएं परंतु मनुवादियों द्वारा हमारा सामाजिक दमन तबतक जारी रहेगा जबतक हम संगठित हो कर अपनी सामाजिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष नहीं करेंगे ।         16 सितम्...

आरक्षण विरोधी नीति के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे सभी दलित संगठन=दलित शोषण मुक्ति मंच

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दलित शोषण मुक्ति मंच ने दलितों की मांगों को लेकर16 सितमन्बर 2020 को हिमाचल विधान सभा पर प्रदर्शन करेगी। प्रदेश सरकार दलितों के संविधानिक अधिकारों कोएक एक करके छिन रही है।सरकारी ,अर्धसरकारी स्थाई नोकरियों का स्वरूप बदला जा रहा है। सरकार द्वारा पार्ट टाइम  अनुबन्द टेके आउटसोर्स स्कीम वर्कर्स,पी टी ऐ एस एम सी व पंचायत स्तर पर अलग-2 रूप में भर्तियां की जा रही है। इन भर्तियो में आरक्षण लागू नहीं किया जाता। प्रदेश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाती के लोगों की लगातार हत्या,हमले व छुआछूट ,समाजिक भेद भाव की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून को सख्ती से लागू नही किया जा रहा है। SC/ST वर्ग के लोगों को सरकारी नोकरियों में 85बें सविधान संसोधन के मुताविक पदोन्ति में आरक्षण लागू नही किया जाता।SC/ST component  paln      के मुताविक अनुचुचित जाती की संख्या के आधार पर बजट नही दिया जाता। इस तरह सरकार बड़े पैमाने पर दलितों का शोषण कर रही है।दलित शोषण मुक्ति मंच मुख्य मंत्री महोदय को दलितों की मांगों को लेकर मांगपत्र देगा।जिसमें मा...

स्वामी अग्निवेश आर्य समाज के क्रांतिकारी विवेक की संभवतः आख़िरी आवाज़ थे. बंधुआ मजदूरी के उन्मूलन के उनके काम के लिए उन्हें सबसे अधिक जाना जाता है, लेकिन उनका जीवन गुलामी के सभी रूपों के खिलाफ एक अनवरत अभियान था. आर्थिक-सामाजिक -राजनीतिक गुलामी के साथ साथ वैचारिक और मानसिक गुलामी के खिलाफ भी उनकी निर्भीक निष्कम्प आवाज़ हमेशा साफ़ सुनाई देती थी. एक भरोसेमंद आदमी चला गया, जो इन्साफ की लड़ाई लड़ते हुए न कभी किसी सता-प्रतिष्ठान के आगे झुका , न सामाजिक तानाशाही के बाहुबलियों के हमलों से रुका. वैदिक समाजवाद के प्रणेता स्वामी अग्निवेश को दयानंद की अंध-श्रद्धा निवारक प्रज्ञा ने यह शक्ति दी थी कि वे करोडो हिन्दुओं की आस्था के स्वामी बाबा अमरनाथ के विग्रह-निर्माण को गुफा में बर्फ जमने की प्राकृतिक घटना के रूप में निरूपित करते हुए भयभीत नहीं हुए . अगर 'सत्यार्थ प्रकाश ' से हिन्दू धर्मों को खतरा नहीं हुआ था तो इस मामूली तथ्य-कथन से भी उनका बाल-बांका न हो सकता था. लेकिन जिनके लिए धार्मिकता महज कूढ़मगज़ी और साम्प्रदायिक उन्माद है, वे इसे कैसे सहन करते. नतीजतन वयोवृद्ध स्वामी को अनेक बार जानलेवा हिंसक हमलों का सामना करना पडा. अविवेक और उन्माद के इस अंधकारमय दौर के खिलाफ विवेक की मशाल को और ऊंचा करना ही स्वामी अग्निवेश के लिए हमारी सच्ची भावांजलि हो सकती है,:__. आशुतोष कुमार जसम

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स्वामी अग्निवेश आर्य समाज के क्रांतिकारी विवेक की संभवतः आख़िरी आवाज़ थे.  बंधुआ मजदूरी के उन्मूलन के उनके काम के लिए उन्हें सबसे अधिक जाना जाता है, लेकिन उनका जीवन गुलामी के सभी रूपों के खिलाफ एक अनवरत अभियान था.  आर्थिक-सामाजिक -राजनीतिक गुलामी के साथ साथ वैचारिक और मानसिक गुलामी के खिलाफ भी उनकी निर्भीक निष्कम्प आवाज़ हमेशा साफ़ सुनाई देती थी.  एक भरोसेमंद आदमी चला गया, जो इन्साफ की लड़ाई  लड़ते हुए न कभी किसी सता-प्रतिष्ठान के आगे झुका , न सामाजिक तानाशाही के बाहुबलियों के हमलों से रुका.  वैदिक समाजवाद के प्रणेता स्वामी अग्निवेश को  दयानंद की अंध-श्रद्धा निवारक  प्रज्ञा ने यह शक्ति दी थी कि वे  करोडो हिन्दुओं की आस्था के स्वामी बाबा अमरनाथ के विग्रह-निर्माण को गुफा में बर्फ जमने की प्राकृतिक घटना के रूप में निरूपित करते हुए भयभीत नहीं हुए .  अगर 'सत्यार्थ प्रकाश ' से हिन्दू  धर्मों को खतरा नहीं हुआ था तो इस मामूली तथ्य-कथन से भी उनका बाल-बांका न हो सकता था.  लेकिन जिनके लिए धार्मिकता महज  कूढ़मगज़ी और  साम्प्रदायिक उन्माद है, ...

प्रमोशन में आरक्षण लागू करवाने के मुद्दे को लेकर 16 सितंबर को करेंगे विधानसभा का घेराव:---- विवेक कश्यप

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  दलित शोषण मुक्ति मंच 16 सितंबर को विधानसभा पर प्रदर्शन करेगा दलित शोषण मुक्ति मंच का मानना है कि पिछले काफी समय से हिमाचल प्रदेश में  दलितों पर हमले बढ़ते जा रहे है कि केदार जिंदान्न ,रजत,विमला देवी इन लोगो को तो मौत के  घाट तक उतार दिया।   शिमला जिला की बात करे तो यह भी स्थित ठीक नहीं है दलितों को आज भी मंदिरों में प्रवेश की इजाजत नहीं है आज भी छुआछूत का सिलसिला जारी है दलित यदि देवतो को छू ले तो उनसे मार पिटाई की जाती है जब थाने में शिकायत कि जाए तो atrocity act के तहत शिकायत दर्ज नहीं होती मामला दबाने की कोशिश की जाती है  आज भी sc/st उपयोजना के तहत जो पैसा दलित बस्तियों के लिए  आता है वहा पहुंचता  ही नहीं नहीं है आरक्षण को समाप्त किया का रहा है  दलित शोषण मुक्ति मंच जिला शिमला इकाई ने तह किया है कि 16/सितंबर को विधानसभा पर प्रदर्शन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेंगे ।  सरकार से दलितों पर हो  रहे शोषण के खिलाफ कानून को सख्ती से लागू किया जाए। sc st उपयोजना के तहत दलित बस्तियों तक विकास के लिया बजट दिया जाए । आउटसोर्स/कॉन्ट्रेक...

अमीर वर्ग को Y सुरक्षा और दलित वर्ग को हत्या के बाद भी न्याय नही...दलित शोषण मुक्ति मंच

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 अमीर वर्ग को Y सुरक्षा और दलित वर्ग को  हत्या के बाद भी न्याय नही।।।  दलित शोषण मुक्ति मंच करसोग इकाई ने अभी हाल ही में हुए बिमला देवी के बहुचर्चित हत्या कांड में मुवावजा न मिलने की वजह से आज सड़कों पर उतर आए। बिंमला देवी की निर्मम हत्या कर दी गई थी जिसके बावजूद लंबी जदोजहद के बाद एट्रोसिटी एक्ट में प्राथमिकी दर्ज हुई  परन्तु अभी तक बिमला देवी के परिवार  को मिलने वाली कोई भी सुविधा और लाभ नही दिए गए।दलित शोषण मुक्ती  मंच के राज्य संयोजक साथी जगत राम जी इन मौके पर पहुंचे और उन्होंने प्रशासन को आडो हाथों लेते हुए कहा कि कंगना रानाउत जैसे बड़े कलाकारों को तो सोशल मीडिया पर  हुई कहा सुनी के बाद भी न्याय मिल जाता है परंतु गरीब और शोषित वर्ग की निर्मम हत्या होने के बाद भी सड़को पर उतरना पडता है।  दलित शौषण मुक्ति मंच करसोग के सयोजक परमदेव ने कहा कि सरकार लगातार दलित मुद्दों को उठाने और संविधान में अंकित दलित अधिकारो को लागू करवाने के प्रति बिल्कुल भी सक्रिय नही है। इसलिए दलित शिश्न मुक्ति मंच करसोग आने वाली 16 तारीख को शिमला में विधानसभा घेराव में अधिक से...

*श्रम कानूनों में बदलाव व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ प्रदेश भर में मजदूरों-किसानों के धरने प्रदर्शन*

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 *श्रम कानूनों में बदलाव व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ प्रदेश भर में मजदूरों-किसानों के धरने प्रदर्शन* सीटू व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों  की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के हज़ारों  मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों,ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए।      शिमला में डीसी ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर,सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,सीटू प्रदेश उपाध्यक्ष जगत राम,जिला महासचिव अजय दुलटा,हिमाचल किसान सभा जिलाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर,जनवादी महिला समिति की प्रदेशाध्यक्षा डॉ रीना सिंह  तंवर,सीमा,जयशिव ठाकुर,जियानंद,बाबू राम,बालक राम,हिमी देवी,किशोरी ढटवालिया,विवेक कश्यप,अमित ठाकुर,रविन्द्र चन्देल,गौरव,अनिल,रामप्रकाश,रेहड़ी फड़ी तयबजारी यूनियन अध्यक्ष सुरेंद्र बिट्टू,महासचिव राकेश सलमान,एसटीपी यूनियन अध्यक्ष दलीप सिंह,महासचिव मदन लाल,मथुरा दास,कलावती,होशियार,भूमित आदि मौजूद रहे।...

:●क्यों शिक्षक दिवस पर सावित्री बाई फुले का जिक्र नही होता। ---विमल वरुण

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  ●क्यों शिक्षक दिवस पर सावित्री बाई फुले का जिक्र नही होता? मेरे मायनों में शिक्षक वह होता है जो आपको जीवन जीने की विद्या सिखाता है। किसी बच्चे के लिए सबसे पहली शिक्षिका उसकी मां होती, वही उसे शिक्षक का आभास कराती है। दोस्तों एक समाज दो लोगों से मिलकर बनता है, 'स्त्री और पुरुष' एक अच्छे समाज का निर्माण तब होता है जब स्त्री और पुरुषों को समान अधिकार मिले, दोस्तों हमारे देश में स्वी समाज सदियों से शिक्षा से वंचित रहा है, जब धार्मिक अंधविश्वास, रुढ़िवाद, अस्पृश्यता, दलितों और खासतौर से सभी वर्गों को महिलाओं पर मानसिक और शारीरिक अत्याचार अपने चरम पर थे। बाल-विवाह, सती प्रथा, बेटियों को जन्मते ही मार देना, विधवा स्त्री के साथ तरह-तरह के अनुचित व्यवहार, अनमेल विवाह, बहुपत्नी विवाह आदि प्रथाएं समाज में व्याप्त थीं। समाज में ब्राह्मणवाद और जातिवाद का बोलबाला था। ऐसे समय में मां सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबाफुले का इस अन्यायी समाज और उसके अत्याचारों के खिलाफ खड़े हो जाना एक क्रांति का आगाज था। मां सावित्रीबाई फुले ने अपने निस्वार्थ प्रेम, सामाजिक प्रतिबद्धता, सरलता तथा अपने अनथक-सार्थक ...

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हर विभाग में बेक्लौग एवं शॉर्ट फॉल नियमित भर्तियों से शीघ्र भरा जाए।

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 दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर ने आज जारी प्रेस बयान में  हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा PTA पर नियुक्त अध्यापकों  को नियमितीकरण पर सरकार के फैसले का स्वावग किया है , वही इस तरह की हुई भर्तियों पर भी सवाल खड़ा किया है दलित शोषण मुक्ति मंच के राज्य सह संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि इस तरह की नयुक्तियों में किसी भी प्रकार का रोस्टर लागू नही होता और भाई भतीजावाद के आधार पर इनमे भर्ती होती है जोकि सीधा SC  वर्ग के अधिकारों पर डाका डालने जैसा है।  आशीष कुमार ने सरकार से मांग की है PTA  पर आधारित भर्तियों में जो बैकलॉग बनता है और इससे पहले का बैकलॉग को भी सरकार शीघ्र भरें , क्योंकि SC  वर्ग के बैकलॉग के आधार पर अभी पूरे प्रदेश में हजरों हजार खाली पद पडे है जिनको सरकार को अति शीघ्र भरना चाहिए। इसके इलावा आउटसोर्स के आधार पर हो रही भर्तियों। में भी भारी भ्रष्टाचार है इन भर्तियों में भी किसी तरह का रोस्टर लागू नही किया जाता जिस वजह से दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व इस प्रकार की भर्तियों में न के बराबर रह जाता है। दलित शोषण मुक्ति मंच मांग करता है कि सरकार सरकारी अर्धसरका...