वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

दलित शोषण मुक्ति मंच के प्रदर्शन के बाद हरकत में आया विपक्ष

 नौकरियों में एससी-एसटी को आरक्षण न देने पर बिफरा विपक्ष किया वाकआउट

माकपा विधायक राकेश सिंघा ने नियम 130 के तहत चर्चा के लिए रखा प्रस्ताव । 







हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ। गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही किन्नौर के कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने सदन में खड़े होकर अनुसूचित जातियों और जनजातियों को नौकरियों में आरक्षण न मिलने, शोषण होने, एससी, एसटी कंपोनेंट का पैसा खर्च न होने के विषय पर सदन में नियम 67 में चर्चा मांगी।


स्पीकर ने इससे इंकार किया तो सदन में हंगामा हो गया। इस बीच सत्तापक्ष और विपक्ष में नोकझोंक हुई। हंगामा बढ़ता गया तो विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया। हालांकि, वॉकआउट के बाद कांग्रेस विधायक अंदर आए। इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और संसदीय कार्य मंत्री ने भी इसे निंदनीय बताया।


इसके बाद विधानसभा में प्रश्नकाल साढ़े 11 बजे ही शुरू हो पाया। इसे विपक्ष की गैर हाजिरी में ही शुरू किया गया। कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि सदन में एक तिहाई विधायक एससी और एसटी वर्ग से हैं। हमारे साथ नियम 67 में सारा काम छोड़कर चर्चा की जाए। 32 प्रतिशत प्रदेश में इस वर्ग से हैं।


दलितों और आदिवासियों के बारे में सरकार चर्चा नहीं करना चाहती है। सभी दलित और जनजातीय लोगों का शोषण हो रहा है। बच्चों के साथ बैठने नहीं दिया जाता। स्कॉलरशिप में भी घोटाला हुआ है। एससी और एसटी कंपोनेंट में वाजिब आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अभी इस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो पाएगी, वह बैठें।


इस बीच विपक्ष के सभी सदस्य खड़ेे होकर हंगामा करते रहे और सदन से वॉकआउट कर गए। विपक्ष के बाहर जाने के बाद स्पीकर विपिन सिंह परमार ने कहा कि जगत सिंह, मोहन लाल ब्राक्टा, नंदलाल और धनीराम शांडिल की ओर से नियम 67 के तहत एसटी को नौकरियों में आरक्षण न देने, शोषण करने, एससी और एसटी कंपोनेंट का पैसा खर्च न करने के बारे में उन्हें नोटिस मिला है।


इस बारे में माकपा विधायक राकेश सिंघा से नियम 130 के तहत चर्चा के लिए भी प्रस्ताव मिला है। इसे सरकार को जवाब के लिए भेजा है।.

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