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जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती

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 *रोहड़ू  में सीपीआई(एम ) नेताओं  का  रास्ता  रोकना:-- दलित वर्ग के मनोबल को तोड़ने का प्रयास ।* सीपीआई (एम ) ने जातिगत उत्पीड़न पर खुला स्टैंड ले कर हमेशा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की है   :-----आशीष कुमार संयोजक दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर  हिमाचल प्रदेश की हालिया राजनीतिक घटनाएँ यह दिखाती हैं कि जब भी दलित समाज अपनी एकता, चेतना और अधिकारों के साथ आगे बढ़ता है, तब सवर्ण वर्चस्ववादी ताक़तें बेचैन हो उठती हैं। रोहड़ू क्षेत्र में घटित घटना इसका ताज़ा उदाहरण है — जब 12 वर्षीय मासूम सिकंदर की जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर हुई हत्या के बाद सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंघा और राज्य सचिव संजय चौहान पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे, तब कुछ तथाकथित “उच्च” जाति के लोगों ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया। यह केवल नेताओं को रोकने की कोशिश नहीं थी, बल्कि दलित वर्ग की सामूहिक चेतना और हिम्मत को कुचलने का सुनियोजित प्रयास था।अगर वे अपने मंसूबे में सफल हो जाते, तो यह संदेश जाता कि “जब हमने सिंघा और संजय चौहान को रोक लिया, तो इस क्षेत्र के दलितों की औक...

दलितों में बढ़ रही चेतना और शोषण के खिलाफ उठ रहे स्वरों को दबाने का एक मात्र प्रयास था जिन्दान हत्याकांड:-- आशीष कुमार

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 7 सितम्बर 2018 को घटित बहुचर्चित केदार सिंह जिंदान हत्याकांड में  विशेष न्यायाधीश सिरमौर आरके चौधरी की अदालत ने तीन दोषियों को सजा सुना दी है। तीन साल पहले आरटीआई एक्टिविस्ट केदार सिंह जिंदान को तथाकथित उच्च जाति के दबंगों ने सिरमौर जिला के बकरास गांव में क्रूरता के साथ पीट-पीट कर मार डाला था और सबूत को छुपाने के लिए उसको एक्सीडेंट में तब्दील करने कर उद्देश्य से जिन्दान की गर्दन वाले भाग को 3 से 4 बार गाड़ी से इस तरह रौंद दिया जिससे एक तो ये संदेश देने की कोशिश  की गई की घटना एक दुर्घटना थी ,और संदेश साफ साफ था कि यदि किसी दलित व्यक्ति ने  तथाकथित उच्च जाति के लोगों के खिलाफ बोलने की।कोशिश की तो उसका हश्र ये होगा, यह मात्र  केवल जातीगत हिंसा या  उत्पीड़न का मामला नहीं था बल्कि ये  मामला दलितों में बढ़ती चेतना  और शोषन के खिलाफ उठ रहे दलित वर्ग की आवाज को कुचलने का एक मात्र प्रयास था,   26 नवम्बर 2021 को चाहे इसे संयोग कहे जब दलित शोषन मुक्ति मंच संविधान दिवस के मौके पर संविधान दिवस मना...