वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

राजगढ़ : गरीब किसानों की भूमि को बचाने के लिए हिमाचल किसान सभा आगामी 20 मार्च को प्रदेश भर में जिला व खंड स्तर से हजारों की तादाद में सरकार के समक्ष रखने के लिए विधान सभा के लिए कूच करेंगे। हिप्र किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष राजेंदर सिंह और जिला अध्यक्ष सिरमौर सतपाल मान, राजगढ़ ब्लॉक के सचिव नैन सिंह , सतपाल ने आज राजगढ़ क्षेत्र में किसानों की बैठके कर क्षेत्र के लोगों को आहवाहन किया 20 मार्च को विधानसभा में जिला सिरमौर से सेंकड़ों लोग शिमला विशाल रैली में जमीन से जुड़े मुद्दे विशेष रूप से - शामलात , खुदरा-ओ-दरखतान, मलकियत सरकार, चकोतेदार, नौतोड़ के नियमितीकरण, जनजातीय क्षेत्रों में वन अधिकार कानून का सही ढंग से लागू न होना, विस्थापिता गद्दी, गुजरों इत्यादि सहित मुद्दे भी उठाए जाएंगे। उन्होने बताया कि हिमाचल में आम किसान के पास खेती योग्य जमीन केवल दो से चार बीघा ही रह गयी है। प्रदेश में केवल 06 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से एक लाख हैक्टेयर भूमि विभिन्न जल परियोजनाओं में डूब गई । शेष पांच लाख हैक्टेयर भूमि पर 10 लाख 57 लाख किसान खेती करते हैं। लाखों की तादाद में शिक्षित नौजवानों के लिए सरकारी नौकरियां बहुत कम रह गयी हैं। - हिमाचल के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों को छोडकर कहीं उद्योग नहीं हैं जहां युवाओं को रोजगार का
विकल्प मिल सके। उन्होने बताया कि प्रदेश में बेदखली की मुहिम किसानों के लिए नासूर का काम कर रही है। इनका कहना है कि पिछली प्रदेश सरकारों ने 2000, 2002, 2015 और 2018 में लघु और सीमांत किसानों के कब्जे वाली कृषि, बागवानी और मकान बनाने के लिए इस्तेमाल की गई भूमि के नियमितीकरण के प्रयास किए परन्तु केंद्रीय सरकार से इसकी अनुमति नहीं मिली। हिमाचल में ये विशेष परिस्थितियाँ हिमाचल सरकार की 1952 की अधिसूचना, 1980 का वन संरक्षण कानून, 1988 की राष्ट्रीय वन नीतिय 12 दिसंबर 1996 को सर्वोच्च न्यायलय के गोदावर्मन केस मामले में सभी राज्यों को जारी निर्देश 2006 के वन अधिकार कानून के कारण उत्पन्न हुई हैं। दूसरा ओर हिमाचल में हो रहे ढांचागत विकास के तहत किसानों की भूमि और सरकारी भूमि का अधिग्रहण हो रहा है।
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