बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मी
बैंकों के नीजिकरण से आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएंगे बैंक
सीटू जिला सिरमौर कमेटी और जनवादी महिला समिति बैंकों के निजीकरण के विरोध में चल रही 2 दिवसीय हड़ताल का पुरजोर समर्थन करती है । सीटू का मानना है कि सरकार ने बैंकों के निजीकरण का जो फैसला लिया है ये अपने आप मे एक शर्म की बात है । आज बैंककर्मियों की हड़ताल जो यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के जिला संयोजक राकेश वर्मा की अध्यक्षता में जो पूरे जिले के बैंक कर्मी हड़ताल पर थे उसका सीटू पुरज़ोर समर्थन करती है , आज सभी बैंक कर्मी सुबह स्टेट बैंक के बाहर इकठ्ठे हुए और जमकर नारेबाजी की और उसके पश्चात एक रैली के रुप मे ओर बाजार गुनुघाट होते हुए बडा चौक में जनसभा की जनसभा को संबोधित करते हुए सीटू जिला कोशाध्यक्ष आशीष कुमार और जनवादी महिला समिति की राज्य उपाध्यक्ष संतोष कपूर

ने बताया कि किस तरह सरकार देश के वितीय संस्थानों को बेचने के लिए अपनी गिद्द की नजर लगाए हुए है । आशीष कुमार ने बताया कि बैंक का राष्ट्रीय करण आज से 51 वर्ष पूर्व आम आदमी छोटे व्यपारियों, और किसानों को बैंक के नजदीक लाना था ताकि आम आदमी को बैंक की सुविधा मिल सके परन्तु आज केंद्र की सरकार लगातर आम आदमी विरोद्धि नीतियों को लागू कर बैंकों कॉर्पोरेट घरानों को बेचने के लिए आमादा है । सीटू का मानना है कि बैंकों के निजीकरण का प्रभाव मात्र बैंक कर्मियों पर ही नही बल्कि गरीब आदमी , गरीब आदमी छोटे व्यपारियो पर पड़ने वाला है ,बैंकों का निजीकरण का मुख्य।उद्देश्य आम आदमी को बैंक की पहुंच से दूर करना है और फिर से एक लूट तंत्र को विकसित करके आम आदमी को गुलाम बनाने कि साजिश कर रही है।आशीष कुमार ने बताया कि बैंक का अगर निजीकरण हो गया तो आने वाले समय मे पूंजीपति घरानों को लूट की खुली छूट देना है। आज सरकार जो बैंकों की वितीय हालत का रोना रो रही है जिसमे सरकार की आर्थिक नीतियो की वजह से बैंकों को ना चाहते हुए भी ऋण देने पड़े , क्योंकि बैंक अपने आप मे कोई स्वायत संस्था नही है । इसलिए बैंकों के घाटे के लिए सरकार जिमेवारी है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक की हड़ताल का समर्थन करते हुए सीटू ने कहा कि सीटू हमेशा से बैंकों के निजीकरण और सरकारी संस्थानों को बेचने के विरोध में रहा है ।
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