जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती

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 *रोहड़ू  में सीपीआई(एम ) नेताओं  का  रास्ता  रोकना:-- दलित वर्ग के मनोबल को तोड़ने का प्रयास ।* सीपीआई (एम ) ने जातिगत उत्पीड़न पर खुला स्टैंड ले कर हमेशा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की है   :-----आशीष कुमार संयोजक दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर  हिमाचल प्रदेश की हालिया राजनीतिक घटनाएँ यह दिखाती हैं कि जब भी दलित समाज अपनी एकता, चेतना और अधिकारों के साथ आगे बढ़ता है, तब सवर्ण वर्चस्ववादी ताक़तें बेचैन हो उठती हैं। रोहड़ू क्षेत्र में घटित घटना इसका ताज़ा उदाहरण है — जब 12 वर्षीय मासूम सिकंदर की जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर हुई हत्या के बाद सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंघा और राज्य सचिव संजय चौहान पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे, तब कुछ तथाकथित “उच्च” जाति के लोगों ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया। यह केवल नेताओं को रोकने की कोशिश नहीं थी, बल्कि दलित वर्ग की सामूहिक चेतना और हिम्मत को कुचलने का सुनियोजित प्रयास था।अगर वे अपने मंसूबे में सफल हो जाते, तो यह संदेश जाता कि “जब हमने सिंघा और संजय चौहान को रोक लिया, तो इस क्षेत्र के दलितों की औक...

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (आईफा AIFAWH) अंतरिम बजट 2024-25 और मोदी राज के पिछले पांच वर्षों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं और योजना कार्यकर्ताओं की पूर्ण उपेक्षा और अपमान का कड़ा विरोध करती

 प्रेस वक्तव्य

1 फरवरी 2024


ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (आईफा AIFAWH) अंतरिम बजट 2024-25 और मोदी राज के पिछले पांच वर्षों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं और योजना कार्यकर्ताओं की पूर्ण उपेक्षा और अपमान का कड़ा विरोध करती है।


*AIFAWH  16 फरवरी 2024 को अखिल भारतीय हड़ताल के अपने संकल्प की पुष्टि करती है*


*आईफा AIFAWH ने सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं से 2-3 फरवरी 2024 को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने, केंद्रीय बजट की प्रतियां जलाने और परियोजना/जिला स्तर पर हड़ताल नोटिस जारी करने का आह्वान किया है*


भाजपा के नेतृत्व में मोदी-2 सरकार ऐसी *एकमात्र सरकार है जिसने ICDS की स्थापना के बाद से अपने पांच साल के कार्यकाल में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के पारिश्रमिक में एक बार भी वृद्धि नहीं की है* मानदेय वृद्धि ना करने का एक रिकॉर्ड बनाया है, इसी के साथ कार्यभार में कई गुना वृद्धि की है और वर्कर्स के काम के घंटे कई गुना बढ़ाए हैं।


बजट रखते समय वित्त मंत्री का यह बयान कि सरकार आंगनवाड़ी केंद्रों के उन्नयन में तेजी लाएगी और आयुष्मान भारत योजना में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं को शामिल करेगी, ऐसा करके  छह साल से कम उम्र के 8 करोड़ बच्चों और दो करोड़ महिलाओं को स्वास्थ्य और शिक्षा।पोषण की बुनियादी सेवाएं देने वाले कार्यकर्ताओं के साथ एक क्रूर मजाक और धोखा है।  


*बजट (संशोधित) की तुलना में अब बजट में 300 करोड़ रुपये से अधिक की कटौती की गई है। 2023-24 में 21521.13 करोड़ रुपये से अब 21200 करोड़ रुपये हो गया है।*


इसका मतलब है कि केंद्रीय निधि जारी न होने के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के वेतन के भुगतान में लगातार देरी, किराया, टीए/डीए, पोषण के लिए धन आदि का कई महीनों तक भुगतान न होना।

*इसका मतलब है कि अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों के लिए दिन-रात काम करने वाली वर्कर को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद न्यूनतम वेतन के बिना पेंशन या ग्रेच्युटी के नौकरी से बाहर होना।*


आयुष्मान भारत योजना में आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को शामिल करने की घोषणा हास्यास्पद है क्योंकि उनमें से अधिकांश पहले से ही इस योजना के तहत आच्छादित हैं क्योंकि उनकी आय बहुत कम है।


बजट अनुमान से पता चलता है कि अगर मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को किस बात का इंतजार है।


बाल संरक्षण योजना, ग्रामीण सड़क योजना आदि में बजट आवंटन में कटौती की गई है और मनरेगा, पीएम आवास योजना आदि के लिए बजट में कोई वृद्धि नहीं की गई है।


बजट सिर्फ लुभावनी बातें और विकास के खोखले वादे हैं।


बजट में वित्त मंत्री या पीएम की शब्दावली में श्रमिकों के लिए एक बार भी उल्लेख नहीं है।

*भाजपा/आरएसएस मोदी के रामराज्य की परिकल्पना में वर्कर और गरीब पर्यायवाची हैं* क्योंकि उन्होंने चार जातियों की परिकल्पना की है- गरीब, महिला, युवा और किसान।


आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं 16 फरवरी 2024 को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत क्षेत्रीय/औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद में शामिल होकर कॉर्पोरेट सांप्रदायिक गठजोड़ की इस सरकार को करारा जवाब देंगी।


*AIFAWH की सभी इकाइयां 2-3 फरवरी 2024 को विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगी, केंद्रीय बजट की प्रतियां जलाएंगी और हड़ताल का नोटिस जारी करेंगी।*


*आईफा ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं से हड़ताल में शामिल होने और लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के लिए काम करने का आह्वान किया है।*


जारीकर्ता


ए आर सिंधु


महासचिव

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (AIFAWH)

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