वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम का कहना है कि हिमाचल सरकार का बजट मजदूरों कर्मचारियों की आकांक्षाओं के खिलाफ है। आत्मनिर्भर हिमाचल के दस मुख्य बिंदुओं की बात करने वाले बजट में मजदूरों कर्मचारियों की बात तक न करना ही बजट की दिशा को बताता है। सरकार के एजेंडे से मजदूर कर्मचारी गायब हैं। भारी महंगाई के दौर में मजदूरों की दिहाड़ी में केवल 25 रुपये की बढ़ोतरी करना, मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम वेतन न देना, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों को ग्रेच्युटी व न्यूनतम वेतन सुविधा लागू न करना, वाटर कैरियर, जल रक्षकों, मल्टी परपज़ वर्करज़, पैरा फिटर, पम्प ऑपरेटरों, चौकीदारों, राजस्व चौकीदारों, पंचायत वेटनरी असिस्टेंट के मासिक वेतन में केवल 300 से 500 रुपये बढ़ोतरी करना व उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन न देना उनके साथ क्रूर मज़ाक है। आउटसोर्स कर्मियों, सिलाई अध्यापकों, एसएमसी अध्यापकों, आईटी टीचर्स व एसपीओ के वेतन में नाम मात्र बढ़ोतरी करना व उनके लिए सरकार द्वारा कोई ठोस नीति न बनाना बेहद चिंताजनक है
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