जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती

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 *रोहड़ू  में सीपीआई(एम ) नेताओं  का  रास्ता  रोकना:-- दलित वर्ग के मनोबल को तोड़ने का प्रयास ।* सीपीआई (एम ) ने जातिगत उत्पीड़न पर खुला स्टैंड ले कर हमेशा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की है   :-----आशीष कुमार संयोजक दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर  हिमाचल प्रदेश की हालिया राजनीतिक घटनाएँ यह दिखाती हैं कि जब भी दलित समाज अपनी एकता, चेतना और अधिकारों के साथ आगे बढ़ता है, तब सवर्ण वर्चस्ववादी ताक़तें बेचैन हो उठती हैं। रोहड़ू क्षेत्र में घटित घटना इसका ताज़ा उदाहरण है — जब 12 वर्षीय मासूम सिकंदर की जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर हुई हत्या के बाद सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंघा और राज्य सचिव संजय चौहान पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे, तब कुछ तथाकथित “उच्च” जाति के लोगों ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया। यह केवल नेताओं को रोकने की कोशिश नहीं थी, बल्कि दलित वर्ग की सामूहिक चेतना और हिम्मत को कुचलने का सुनियोजित प्रयास था।अगर वे अपने मंसूबे में सफल हो जाते, तो यह संदेश जाता कि “जब हमने सिंघा और संजय चौहान को रोक लिया, तो इस क्षेत्र के दलितों की औक...

संदीप कुमार राज्य अध्यक्ष, शांति देवी बनी मिड डे मील वर्करज यूनियन सीटू की राज्य महासचिव


 मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू हिमाचल प्रदेश राज्य सम्मेलन किसान मजदूर भवन चितकारा पार्क कैथू शिमला में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में 39 सदस्यीय कमेटी गठन किया गया। संदीप कुमार को अध्यक्ष, शांति देवी को महासचिव, सपना को कोषाध्यक्ष, हिमी देवी, इंद्र सिंह, गुरदास वर्मा, पूनम, विपिन, रीता को उपाध्यक्ष, श्यामा, सरिता, मीरा खान, नरेंद्र विरुद्ध, बालक राम, राजमिला को सचिव, सुलक्षणा, लेखराज, चंपा, बिमला, ललिता, सुलोचना, प्रेमिनिला, रामदास, मीरा, भुवनेश्वरी, निशा, बबीता, महेंद्र, विनीत, ओमप्रकाश, सुदेश, सरीना, ऊषा, कौशल्या, सरोज, बच्चन, गोपाल को कमेटी सदस्य चुना गया।


सम्मेलन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम, यूनियन राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हिमी देवी, संदीप कुमार व शांति देवी ने संबोधित किया। उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोड व मोदी सरकार की मिड डे मील वर्कर्स विरोधी नीतियों के खिलाफ खिलाफ 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कार्यरत 21 हजार मिड डे मील कर्मियों की स्थिति बेहद दयनीय है। इनके लिए मात्र पांच हजार रुपये प्रतिमाह वेतन घोषित किया गया है जोकि कई कई महीनों तक नहीं मिलता है। वेतन की राज्य व  केंद्र की हिस्सेदारी भी हर महीने अदा नहीं की जाती है। मजदूरों को कभी भी पूरा वेतन नहीं मिलता है। समय पर वेतन न मिलने से मिड डे मील कर्मियों को अपना जीवनयापन करना बेहद मुश्किल हो रहा है। मिड डे मील वर्करज यूनियन सम्बन्धित सीटू द्वारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका पर प्रदेश उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने वर्ष 2019 व डबल बेंच ने वर्ष 2024 में फैसला दिया है कि मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन दिया जाए परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक इस फैसले को लागू नहीं किया गया है व इस मसले को माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर अपनी मिड डे मील वर्कर्स विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। मिड डे मील कर्मियों को साल में एक भी छुट्टी नहीं दी जाती है। उन्हें एमरजेंसी, हारी बीमारी व पारिवारिक कार्यक्रमों में छुट्टी करने पर अपनी जगह रिलीवर भेजना पड़ता है जिसकी पांच सौ से सात सौ रुपये की दिहाड़ी का खर्चा भी उन्हें खुद ही उठाना पड़ता है जबकि उन्हें स्वयं अपने कार्य की दिहाड़ी रिलीवर को दी जाने वाली दिहाड़ी का एक चौथाई डेढ़ सौ रुपये ही दी जाती है। प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक के लिखित आदेशों के बावजूद मिड डे मील कर्मियों से किचन गार्डन, झाड़ियां काटने, साफ सफाई, पानी की टंकियां साफ करवाने व अन्य कई  तरह का अतिरिक्त कार्य करवाया जाता है जिसका उन्हें कभी अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता है। 


उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 व वर्ष 2024 में माननीय उच्च न्यायालय ने मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन देने का निर्णय सुनाया है। परन्तु माननीय उच्च न्यायालय के फैसले को अभी तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार द्वारा इस फैसले को लागू किया जाए ताकि प्रदेश के हजारों मिड डे मील कर्मियों को आर्थिक लाभ मिल सके। प्रदेश सरकार द्वारा कम बच्चों की संख्या वाले स्कूलों को बन्द करने व कुछ स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने पर इन स्कूलों में कार्यरत मिड डे मील वर्करज को भी अन्य कर्मचारियों की तर्ज पर अनिवार्य तौर पर अन्य नजदीकी स्कूलों में समायोजित करने के क्रम को यथावत जारी रखा जाए। मिड डे मील कर्मियों को प्रतिमाह पहली तारीख को वेतन का भुगतान किया जाए। उन्हें वेतन स्लिप दी जाए ताकि उन्हें अपने वेतन की सही जानकारी मिल सके। उन्हें आंगनबाड़ी की तर्ज पर एक साल में कम से कम बीस छुट्टियां दी जाएं। उन्हें आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों की तर्ज पर साल में दो वर्दी दी जाए। उनसे चुनाव के समय पोलिंग पार्टी को खाना बनाने का कार्य न करवाया जाए। यदि आवश्यक हो तो उन्हें इस कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। महिला मिड डे मील कर्मियों को राज्य में अन्य महिला कर्मचारियों की तर्ज पर रक्षाबंधन, करवाचौथ व भाई दूज की वेतन सहित छुट्टियां दी जाएं। साधारण अथवा क्लस्टर स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त मिड डे मील कर्मियों की नियुक्ति की जाए।

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