जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती
सच का आईना
जुगनुओं की रोशनी से अंधेरा मिटाया नहीं जाता,
काग़ज़ की कश्ती से किनारा पाया नहीं जाता।
रूह को होती है मोहब्बत रूह से,
बना के ताजमहल ग़रीबों की मोहब्बत का मज़ाक उड़ाया नहीं जाता।
हवा में उड़ कर अंदाज़े बयां करते हो बर्बादी का,
शाम ढलने के बाद किसी खंडहर में जाया नहीं जाता।
समंदर में उतर कर ही मापा जाता है गहराइयों को,
नक़्शे काग़ज़ पर बना कर अंदाज़ा लगाया नहीं जाता।
सच की धूप से बचकर जो परछाइयों में छुप जाते हैं,
ऐसे लोगों को कभी सहारा बनाया नहीं जाता।
झोपड़ियों में लगी आग को उजाला समझ लिया जाता है
गरीबों के ताज को क्यों कभी बचाया नहीं जाता।
गरीब की भूख का हिसाब किताबों में नहीं मिलता,
मज़दूर की मेहनत का कभी मौल चुकाया नहीं जाता।
जो तोड़ कर पत्थर महल खड़े कर जाते हैं,
उन्हीं हाथों की थाली में दो वक्त का निवाला नहीं जाता
पत्थरों को काट कर राह बना देता है,दशरथ मांझी
उसके प्यार को प्यार कभी बताया नहीं जाता
वो वक़्त भी आएगा जब सच से सामना होगा उनका,
झूठ के ताज को कीचड़ में गिरने से बचाया नहीं जाता।
✍️ आशीष कुमार आशी
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