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Showing posts from July, 2025

जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती

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 *रोहड़ू  में सीपीआई(एम ) नेताओं  का  रास्ता  रोकना:-- दलित वर्ग के मनोबल को तोड़ने का प्रयास ।* सीपीआई (एम ) ने जातिगत उत्पीड़न पर खुला स्टैंड ले कर हमेशा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की है   :-----आशीष कुमार संयोजक दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर  हिमाचल प्रदेश की हालिया राजनीतिक घटनाएँ यह दिखाती हैं कि जब भी दलित समाज अपनी एकता, चेतना और अधिकारों के साथ आगे बढ़ता है, तब सवर्ण वर्चस्ववादी ताक़तें बेचैन हो उठती हैं। रोहड़ू क्षेत्र में घटित घटना इसका ताज़ा उदाहरण है — जब 12 वर्षीय मासूम सिकंदर की जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर हुई हत्या के बाद सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंघा और राज्य सचिव संजय चौहान पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे, तब कुछ तथाकथित “उच्च” जाति के लोगों ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया। यह केवल नेताओं को रोकने की कोशिश नहीं थी, बल्कि दलित वर्ग की सामूहिक चेतना और हिम्मत को कुचलने का सुनियोजित प्रयास था।अगर वे अपने मंसूबे में सफल हो जाते, तो यह संदेश जाता कि “जब हमने सिंघा और संजय चौहान को रोक लिया, तो इस क्षेत्र के दलितों की औक...

हमीरपुर के बड़सर में अनुसूचित जाति वर्ग को अंतिम संस्कार करने से रोकना शर्मनाक

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  दलित शोषण मुक्ति मंच, जिला  सिरमौर   हमीरपुर जिले के बड़सर में कड़सई  पंचायत में  एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति के अंतिम संस्कार को लेकर हुए विवाद की निंदा करते हैं। मंच के संयोजक आशीष कुमार , सह संयोजक अमिता चौहन,  जिला कमेटी सदस्य राजेश तोमर,सतपाल मान,जगदीश पुंडीर,नैन सिंह ,अनिता,अमर चंद ने कहा की  यह घटना मुख्यमंत्री के गृह जिले में होना शर्मनाक है जो समाज में व्याप्त जातिवादी मानसिकता को दर्शाती है। आहीश कुमार ने कहा की ये मात्र एक घटना  एक हमीरपुर की है नही है बल्कि हिमाचल प्रदेश में आज भी अनुसूचित जाति वर्ग मे लोग  प्रतिदिन इस तरह के शोषण के शिकार होते रहते है । कभी शादी विवाह में अपमानित  किया जाता है तो कभी  स्कूल परिसर  मे छात्रों  तक को अपमानित किया जाता है , दलित शोषण मुक्ति मंच ने कहा की अनुसूचित जाति वर्ग को जीते जी तो अपमान झेलना हि पड़ता है परन्तु मरणोपरान्त भी  संस्कार के लिए जमीन उपलब्ध नहीं होती। आशीष कुमार ने स्थानीय sdm  का ब्यान जिसमे कहा गया है की गाँव के लिए अलग शमशान घाट बनाया जायेगा ये ...

हिमाचल प्रदेश में मजदूरों और किसानों की एकता: एक नई दिशा की ओर* आशीष कुमार (हि०प्र०)

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 *हिमाचल प्रदेश में मजदूरों और किसानों की एकता: एक नई दिशा की ओर*              आशीष कुमार (हि०प्र०)  भारी बारिश और खराब रास्स्तों के चलते 9 जुलाई की   राष्ट्रवायापी हड़ताल के आहवाहन  पर  हिमाचल प्रदेश में मजदूरों और किसानों की एकता ने एक बार फिर से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है।  हाल ही में हुई प्रदेशव्यापी हड़ताल में हजारों मजदूरों और किसानों ने भाग लिया, जो केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए हैं। इस ऐतिहासिक  हड़ताल में मजदूर वर्ग हिमाचल के हर जिला और तहसील मुख्यालय पर इस हड़ताल का हिस्सा बने, हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालयों और राजधानी  में चार लेबर  कोड के विरोध में  हजार्रो की संख्या में अलग अलग यूनियन से लोग हड़ताल में उतरे पूरे राज्य में लाल झंडो और सीटू के बैनर तले, आंगनबाड़ी ,मिड डे  मील वर्करज, निर्माण, मनरेगा मजदूर, हाइडल  का मजदूर, आउटसोर्स कर्मी, रेहड़ी फड़ी, मेडिकल कॉलेज,,108/102 कर्मचारी यूनियन, हिमाचल किसान सभा,जनवादी महिला समिति, दलित शोषण मुक्ति मंच आदि...