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Showing posts from November, 2019

जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती

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 *रोहड़ू  में सीपीआई(एम ) नेताओं  का  रास्ता  रोकना:-- दलित वर्ग के मनोबल को तोड़ने का प्रयास ।* सीपीआई (एम ) ने जातिगत उत्पीड़न पर खुला स्टैंड ले कर हमेशा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की है   :-----आशीष कुमार संयोजक दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर  हिमाचल प्रदेश की हालिया राजनीतिक घटनाएँ यह दिखाती हैं कि जब भी दलित समाज अपनी एकता, चेतना और अधिकारों के साथ आगे बढ़ता है, तब सवर्ण वर्चस्ववादी ताक़तें बेचैन हो उठती हैं। रोहड़ू क्षेत्र में घटित घटना इसका ताज़ा उदाहरण है — जब 12 वर्षीय मासूम सिकंदर की जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर हुई हत्या के बाद सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंघा और राज्य सचिव संजय चौहान पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे, तब कुछ तथाकथित “उच्च” जाति के लोगों ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया। यह केवल नेताओं को रोकने की कोशिश नहीं थी, बल्कि दलित वर्ग की सामूहिक चेतना और हिम्मत को कुचलने का सुनियोजित प्रयास था।अगर वे अपने मंसूबे में सफल हो जाते, तो यह संदेश जाता कि “जब हमने सिंघा और संजय चौहान को रोक लिया, तो इस क्षेत्र के दलितों की औक...

समाजिक शोषण के खिलाफ वामपंथ की भूमिका ____ आशीष कुमार आशी

आजादी के 72 वर्षों के बाद जो सपना सविधान निर्माता अम्बेडकर जी ने देखा था सरदार भगत सिंह , सुभाष चन्द्र बोस ने देखा था  या जिस भारत को  बनाने का वादा आजकल के नेता अपने खोखले भाषणों में करते है  क्या वे भारत हम बना पाए है या नहीं , परन्तु हाल ही  में पिछले 7 वर्षों और आजादी के बाद कोई भी   सरकारे रही है उन सभी सरकारों और उनके नेताओं की कटघरे में खड़ा करने की जरूरत भी है ,परन्तु अम्बेडकर जयंती, भगत सिंह जयंती  में मालार्पण करने हम खास कर इन्हीं लोगों को बुलाते है जिनको इस देश के संविधान से कोई खास लगाव नही  अपितु वह लोग हर जगह संविधान की धज्जियां  और कदम कदम पर भगत सिंह के विचारों की धाजिया उड़ाते रहते है। जोकि आपने हाल ही के महीनों में देखा भी है, जाने अनजाने हम किसी न किसी रूप में  उन लोंगो को ही  बढ़ावा दे रहे है जो कि अम्बेडकर  , सरदार भगत सिंह  के विचारों से कोई वास्ता नही रखते है या ऐसा कह सकते है कि भगत सिंह और  बाबा साहब की विचारधारा से विपरीत है, मुझे यँहा विचारों की क्या विषमताएं है  कुछ पंक्तियन का जिक्र ...