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Showing posts from May, 2021

वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

सीटू विचार भी ,हथियार भी:---- विजेंद्र मेहरा

 *सीटू - विचार भी,हथियार भी* *विजेंद्र मेहरा* *प्रदेशाध्यक्ष सीटू,हि. प्र.*            30 मई भारत वर्ष के क्रांतिकारी मजदूर वर्ग के लिए कोई आम दिन नहीं है। यह दिन भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है। इस दिन मजदूर वर्ग के क्रांतिकारी व वैज्ञानिक विचारधारा वाले मजदूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनज़(सीटू) का वर्ष 1970 में कलकत्ता में जन्म हुआ था। भारत वर्ष का मजदूर आंदोलन देश के साम्राज्यवाद,उपनिवेशवाद,सामंतवाद विरोधी आंदोलन का प्रतिबिम्बन रहा है। वर्ष 1920 में जब देश में मजदूर संगठन एटक का गठन हुआ तो यह दो बुनियादी बातों को लेकर संघर्षरत हुआ। पहली बात यह थी कि मजदूर वर्ग शोषणकारी पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई तेज करके शोषणविहीन समाज की स्थापना के लिये कार्य करेगा। दूसरी बात यह थी कि मजदूर,किसान,खेतिहर मजदूर,महिला,छात्र व नौजवान तबकों की व्यापक एकता कायम करते हुए देश से ब्रिटिश हुकूमत को खदेड़ने के लिए देश के आज़ादी के आंदोलन में यह अपनी निर्णायक भूमिका निभाएगा। इसी बुनियाद पर भारत में मजदूर आंदोलन की राष्ट्रव्यापी बुनियाद खड़ी की गई। इसी परिदृश्य म...

राष्ट्रवाद के डिस्कोर्स में कांग्रेसी पूरी तरह आरएसएस के गिरफ्त में फंस चुके हैं।:---राजीव कुंवर

 राष्ट्रवाद के डिस्कोर्स में कांग्रेसी पूरी तरह आरएसएस के गिरफ्त में फंस चुके हैं।  किसी भी कांग्रेसी से बात कीजिए वे भी राष्ट्रवाद का साम्राज्यवाद विरोधी स्वरूप विस्मृत कर चुके हैं। एक कांग्रेसी सज्जन बोले कि बताएं जिन्ना की तस्वीर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगाने का क्या मतलब ? वे हमास के हमले और इजरायल के हमले को एक ही श्रेणी में रखने की बात करते हैं परंतु थोड़ा कुरेदने पर हमास को आतंकवादी संगठन वैसे ही कहते हैं जैसे आरएसएस। एकदम से ताव में आकर वे बोले कि आखिर हमास को फिलिस्तीन की ठेकेदारी किसने दे दी? यासिर अराफात तो ठीक पर हमास कैसे ठीक ? मैंने हल्के से पूछ दिया कि सुभाषचंद्र बोस को किसने ठेकेदारी दी थी? गूँगियाने लगे।  हिंसा अपने आप में कोई मूल्य थोड़े न रखता है! पहले तो सर्वाइकल ऑफ द फिटेस्ट से लेकर बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है का नेचुरल जस्टिस मने प्राकृतिक न्याय माना जाता था। आधुनिक सार्वभौमिक मूल्य ने इसे बदल दिया। हर व्यक्ति की स्वतंत्रता और बराबरी को सार्वभौमिक मूल्य माना गया। ऐसे में स्वतंत्रता और बराबरी के लिए प्रतिरोध को मूल्यवान माना गया। स्वतंत्रत...