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Showing posts from June, 2020

जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती

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 *रोहड़ू  में सीपीआई(एम ) नेताओं  का  रास्ता  रोकना:-- दलित वर्ग के मनोबल को तोड़ने का प्रयास ।* सीपीआई (एम ) ने जातिगत उत्पीड़न पर खुला स्टैंड ले कर हमेशा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की है   :-----आशीष कुमार संयोजक दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर  हिमाचल प्रदेश की हालिया राजनीतिक घटनाएँ यह दिखाती हैं कि जब भी दलित समाज अपनी एकता, चेतना और अधिकारों के साथ आगे बढ़ता है, तब सवर्ण वर्चस्ववादी ताक़तें बेचैन हो उठती हैं। रोहड़ू क्षेत्र में घटित घटना इसका ताज़ा उदाहरण है — जब 12 वर्षीय मासूम सिकंदर की जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर हुई हत्या के बाद सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंघा और राज्य सचिव संजय चौहान पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे, तब कुछ तथाकथित “उच्च” जाति के लोगों ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया। यह केवल नेताओं को रोकने की कोशिश नहीं थी, बल्कि दलित वर्ग की सामूहिक चेतना और हिम्मत को कुचलने का सुनियोजित प्रयास था।अगर वे अपने मंसूबे में सफल हो जाते, तो यह संदेश जाता कि “जब हमने सिंघा और संजय चौहान को रोक लिया, तो इस क्षेत्र के दलितों की औक...

*आखिर भारत में क्यों नहीं होता जातीय भेद और ब्राह्मणवादी (मनुवादी) वर्चस्व के खिलाफ अमेरिका जैसा प्रतिरोध?*

*आखिर भारत में क्यों नहीं होता जातीय भेद और ब्राह्मणवादी (मनुवादी) वर्चस्व के खिलाफ अमेरिका जैसा प्रतिरोध?* सुरेश कुमार   हमीरपुर ट्रेड यूनियन सीटू से सम्बंधित अक्सर हमारे यहां मिडिल क्लास के इंजिनियरिंग, मेडिकल, साइंस, मैनेजमेंट के डिग्रीधारी बात बात में भारत की तुलना अमेरिका से करते नहीं थकते, और पूरी कोशिश करते हैं कि वे या उनके बेटे- बेटियां यहां से डीग्री लेकर अमेरिका में नौकरी पा जायें और मौका मिले तो वहीं बस जाये, सक्षम लोग मौका मिलते ही यही करते हैं , जिनके बेटे बेटी ऐसा करने मे सफल हो जाते हैं उनके मां बाप यहां अपने को सुपर नागरिक का स्वयं दर्जा देकर औरों से सुपर बनने का व्यवहार करने लगते हैं और हमारा मूर्ख समाज उन्हें यह मान्यता दे भी देता है। निजी तौर पर अमेरिका और उसका कथित जनतंत्र अपन जैसे लोगों की कभी पसंद नहीं रहे। भले ही तकनीकी विकास वहां पर दुनियां में सर्वश्रेष्ठ है। कुल के वावजूद जब हम भारत से तुलना करते हैं तो अमेरिकी समाज वाकई तरक्की-पसंद नजर आता है।इसलिये नहीं कि वहां तकनिकी विकास ज्यादा है बल्कि वहां पर मानव मूल्यों की कीमत भी दुनियां में सबसे ज्य...