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Showing posts from April, 2020

वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

मज़दूरों को राशन न मिलने पर कॉमरेड राकेश सिंघा धरने पर बैठे, तहसीलदार और SDM पर बरसे

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मज़दूरों को राशन न मिलने पर कॉमरेड राकेश सिंघा धरने पर बैठे, तहसीलदार और SDM पर बरसे  April 20, 2020 ठियोग के सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा ने आज एसडीएम शिमला के कार्यालय के बाहर धरना दे दिया। उनका प्रशासन पर आरोप है की शिमला में फंसे मज़दूरों को राशन मुहैया नहीं करवाया जा रहा है। शिमला में 20 से 25 हज़ार मज़दूर हैं जिनको खाना नहीं मिल रहा है। जबकि प्रशासन 1200 मज़दूरों की लिस्ट लेकर घूम रहा है। इस दौरान उनको एसडीएम ऑफिस के तहसीलदार के साथ कहासुनी भी हो गई। एसडीएम शिमला को भी सिंघा ने खूब खरी खोटी सुनाई और एसडीएम पर खूब बरसे। सिंघा का आरोप है कि मज़दूरों को प्रशासन राशन नहीं दे पा रहा है। उनको हर दिन मज़दूरों के फोन आ रहे हैं। मजबूरन उन्हें धरने पर बैठना पड़ा जब तक शिमला के सभी मज़दूरों को राशन नही मिल जाता है तब तक वह यहां बैठे रहेंगे। मज़दूरों को यदि उचित खाना नहीं मिलेगा तो वह कारोना की चपेट में सीघ्र आएंगे क्योंकि अच्छा खाना न मिलने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी। प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है।

प्रदेश के हर एक शैक्षणिक संस्थान में सैनिटाइजर टनल का निर्माण किया जाए :----SFI

STUDENTS' FEDERATION OF INDIA(SFI)        H.P STATE COMMITTEE                 PRESS NOTE                                           Date:-19-04-2020  एस एफ आई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी, आज प्रैस विज्ञप्ति के माध्यम से भीषण महामारी के इस दौर में प्रदेश में छात्रों को पेश  अा रही दिक्कतों को प्रदेश  सरकार से अवगत कराना चाहती है।जैसा कि विदित है ,पूरा विश्व करोना महामारी की चपेट में है।हमारा प्रदेश भी इसकी जकड़न से मुक्त नहीं है ,लगातार मामले सामने अा रहे हैं।पूरा देश लॉक डाउन के अन्तर्गत इस महामारी से निपटने के लिए तत्पर है। इसी स्थिति में प्रदेश में छात्रों को विभिन्न समस्याओं से रूबरू होना पड़ रहा है।एस एफ आई एक प्रगतिशील और जिम्मेवार छात्र संगठन होने के नाते इस लड़ाई में सरकार के साथ विभिन्न गतिविधियों में अपना योगदान सुनिश्चित कर रही है।लेकिन छात्रों को पेश  रही दिक्कतों को चिन्हित कर सरकार के समक्...

रामायण महाभारत और हमारा समाज == रामेश्वर

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         भारत को 1947 में आजादी मिली । लेकिन यह अधूरी आजादी थी , क्योंकि यह मात्र सत्ता हस्तांतरण थी अगड़ी जातियों को अंग्रेजों द्वारा । दलित पहले भी गुलाम थे और आज भी हैं । हिंदू और मुसलमान के आधार पर देश दो भागों में बांट दिया गया । बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर एक विद्वान समाजशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। संविधान निर्माण में उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय देकर इसे धर्म निरपेक्ष प्रकृति का रखा । परंतु संघ मनुस्मृति को संविधान बनाना चाहता था , और इसने इस संविधान का जमकर विरोध किया । क्योंकि संघ हिंदू राष्ट्र का पक्षधर था इसी कारण गांधी जी मुस्लिम प्रेम के कारण बलि चढ़ गये । आजादी के बाद ब्राह्मण बहुल सरकार सत्ता मे थी, इसलिए अपनी संस्कृति का सभी वर्गों मे रंग चढ़ाने के लिए स्कूलों मे पाठ्यक्रम हिंदू धर्मग्रंथों  को आधार बनाकर बनाए गये । हमें रामायण ,महाभारत ,पुराणों के आख्यान ,रामचरितमानस ,गीता आदि काल्पनिक विषय पढ़ाए गये । परिणामस्वरूप हमारी सोच मनुवादी प्रक‌ति की बनादी गयी । हमारे महानायक व समाजसुधारक जैसे जोतीराव फुले , पेरियार रामास्वामी , बाबा साहब डा ...

*बाबा साहेब का जीवन एक दुखभरी दास्तान है:___रामेश्वर सिंह

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*हमारे संविधान के निर्माता , दलितों के मसीहा , विश्वरत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की १२९वीं जयंती पर कृतज्ञ लाभार्थियों एवं देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ।* बाबा साहेब का जीवन एक दुखभरी दास्तान है ।                 जन्म से लेकर मृत्यु तक उन्होंने उत्पीड़न एवं शोषण की मार ही तो झेली । स्कूल में अपना टाट लेकर जाना, बाहर बैठना , छुआछूत के दंश के कारण स्कूल में प्यासे तक रह जाना , नौकरी में अछूत अफसर होने के कारण ,स्वर्ण चपरासी के हाथों अपमानित होना हर जगह अपमान ही अपमान सहते रहना , ये थी उनकी नियति । बड़ौदा के राजा गायकवाड़ तथा साहू जी महाराज की उदार सहायता के कारण , उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में उच्च शिक्षा हासिल की              बाबा साहेब कहते थे कि जिस देश में वर्णव्यवस्था जैसी मरणव्यवस्था हो ,उस देश में जन्म लेना बहुत बड़ा पाप है । जहां एक मानव दूसरे मानव के साथ जाति के आधार पर भेदभाव और शोषण करें , वहां कैसी मानवता ! मनुवादी व्यवस्था मे सभी वेद ,पुराण ,उपनिषद ब्रह्मसूत्र , स्मृतियां , रामायण व महाभार...

शोषित समाज के उत्थान के लिए आजीवन प्रयासरत रहे ज्योतिबा फुले

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महान चिंतक महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म एक मराठी माली परिवार में सन 1827 में हुआ। उनका विवाह, सावित्री बाई फुले के साथ हुआ। जिन्हें प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका होने का गौरव प्राप्त है। ज्योतिबा फुले के समय भारत पर अंग्रेज़ी हुकूमत थी। इसे वे दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के उत्थान लिए एक अवसर की दृष्टि से देखते थे। वे दलितों पिछड़ों और महिलाओं की शिक्षा के लिए आजीवन कार्य करते रहें। उन्होंने सन 1849 में महिलाओं की शिक्षा के लिए कन्या विद्यालय की स्थापना की तथा दलित छात्रों के लिए सन 1852 में विद्यालय प्रारंभ किया। उन्होंने छुआछूत, अंधविश्वास, धार्मिक रूढ़िवादिता, संकीर्ण विचार, पुरोहितवाद आदि का पुरज़ोर विरोध किया। इस के लिए उन्होंने एक सामाजिक संस्था ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना सन् 1873 में की। महात्मा ज्योतिबा फुले ने उस समय की राजनीतिक गुलामी से ज़्यादा आंतरिक सामाजिक गुलामी का विरोध किया। उनका मानना था राजनीतिक गुलामी से ज़्यादा खतरनाक सामाजिक विषमता हैं। जिसके कारण दलित, पिछड़े, महिलाएं बद्तर ज़िंदगी जीने के लिए अभिशप्त हैं। इसलिए उन्होंने समतावादी समाज की स्थापना के लिए इस विषमता को ...

कोविड -19 सेंटर सिविल अस्पताल सराहाँ की जगह किसी ओर स्थान पर खोलने बारे खुला पत्र

सेवा में,          माननीय मुख्यमंत्री          हिमाचल प्रदेश सरकार          स्तिथ:__ शिमला विषय:_____  कोविड -19 सेंटर सिविल अस्पताल सराहाँ की जगह किसी ओर स्थान पर खोलने बारे  खुला पत्र महोदय ,           निवेदन इस प्रकार से है कि     आज पूरी दुनिया कोराना जैसी महामारी से मुकाबला कर रही है जिसमें देश और हमारा प्रदेश और जिला सिरमौर भी अछूता नहीं है,  मान्यवर हम आपके संज्ञान में  यह बात लाना चाहते हैं कि सराहाँ अस्पताल 2  दर्जन से भी ज़्यादा पंचायत के निवासियों के लिये एकमात्र सिविल अस्पताल है जँहा लोगो को स्वास्थ्य सुविधाये उपलब्ध होती हैं, अतः इस अस्पताल को कोविड 19 सेंटर बनाने के बाद पच्छाद के लोग किसी अन्य बिमारी के होने पर अपना इलाज करवाने कंहा जायेंगे,क्यूंकि लोकडाऊन के चलते पहले ही लोगो का दुसरी तहसील या जिला में आने जाने पर पुर्ण प्रतिबंध लगा हुआ हे। सराहाँ अस्पताल में प्रतिदिन लगभग   सैकड़ों  मरीज अपना उपचार करवान...

सैड न्यूज़ या बैड न्यूज़== विजेंद्र मेहरा

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सैड न्यूज़ या बैड न्यूज़                            आखिर किस ओर हैं हम                 कोरोना के खिलाफ दुनिया की जंग जारी है। संसार के हर कोने में इस वैश्वक महामारी या इसे वैश्विक आपदा भी कह लें तो कोई हर्ज नहीं होगा,का तोड़ निकालने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। बीमारी के इलाज के लिए पूरी  स्वास्थ्य मशीनरी बिना थके,बिना रुके दिन-रात कार्य कर रही है ताकि मानवता की रक्षा हो सके। मानवता जिंदा रहेगी तो निस्संदेह मानवीय मूल्य भी जिंदा रहेंगे। मानवीय मूल्य यानि जहां केवल इंसानियत का बोलबाला चलता है। जहां नहीं है इंच मात्र भी जगह इंसानियत के सिवाए किसी चीज के लिए। इंसानियत माने सौहार्द,प्यार,एकजुटता,एकता,विश्वास,भरोसा,समरूपता। नहीं कोई जगह जहां नफरत के लिए। इंसानियत का हर शब्द बेहद कोमल होता है। कच्चे धागे जैसा। इसे थोड़ी सी भी ठेस लगी कि सब चकनाचूर। बड़ी जिंदादिली रखनी पड़ती है इसे बचाने के लिए।              क्या व...

ठियोग विधायक सिंघा ने दिया 11 महीने का वेतन सीएम राहत कोष में

राकेश सिंघा।ठियोग के  पहले विधायक जिन्होने 11 महीने की सैलरी सीएम राहत कोष कोविड19 को दी।   गौरतलब यह है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जहा पर केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में कटौती का अध्यादेश जारी कर किया है। इसके तहत वेतन में 30 फीसदी की कटौती की जाएगी।वही हिमाचल के सभी विधायको के वेतन-भत्तों में  30% की कटौती तथा विधायक क्षेत्र विकास निधि योजना 2 वर्ष के लिए स्थगित कर यह राशि कोविड-19 से निपटने के लिए खर्च होगी ।   इसी बीच ठियोग विधायक राकेश  सिंघा ने अप्रैल से दिसंबर 2020 तक की आने वाली अपनी सैलरी  मुख्यमंत्री   राहत कोष कोविड-19 में दे दी है तथा इससे पहले भी 2 महीने की सैलरी सीएम राहत कोष कोविड-19 में डाल चुके हैं  । बता दें कि राकेश सिंघा एक पहले ऐसे विधायक  हैं जिन्होंने अपनी 11 महीने की सैलरी सीएम राहत कोष में डाल दी है। राकेश सिंघा से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि यह समय हमारे किसान मजदूर कर्मचारी वर्ग और सभी वर्ग के आदमी के लिए यह बहुत बुरा समय है इस समय मैं हमें यथासंभव प्रयास करना चाहि...

मेरी लड़ाई तो अंधेरे से है= = पंकज तन्हा

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इस देश मे मूर्खों की कमी नहीं.. न भी ढूंढो तो हजारों मिलते हैं..। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस देश की जनता से आपातकाल में सेवा दे रहे लोगों की हौंसला अफजाई के लिए घर  के दरवाजे पर खड़े होकर थाली बजाने औऱ दीपक या मोमबत्ती जलाने का आह्वान करते हैं। उनका मकसद केवल इतना रहता है कि आपातकाल में दिन रात सेवा दे रहे लोगों को महसूस हो कि इस देश के लोगों को उनपर गर्व है वो भी उनके साथ हैं।  लेकिन मूर्खों की जमात उनके इस प्रयास पर तब पानी फेर देती है जब मूर्ख अपने अपने तर्क देने लगते हैं कोई कहता है थाली बजाने से उत्पन्न हुई तरंगों से कीटाणु मर जाएंगे। कोई नासा का तो कोई धर्म ग्रंथो का उदाहरण देने लगता है। कोई बताता है कि एक मोमबत्ती या दीपक कितनी ऊर्जा पैदा करता है। इस ऊर्जा से क्या होगा। औऱ भी न जाने क्या क्या..? इन मूर्खो की जमात के कारण कुछ हो न हो लेकिन प्रधानमंत्री जो सोच लेकर आये हैं उसपर वह पानी जरूर फेर देते हैं। उनका मख़ौल बना कर छोड़ देते हैं।  धन्य है ये जमात मेरी लड़ाई तो अंधेरों से है हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ है शब्द तलवार है पंकज तन्हा ...

नकारात्मक लोग==C.K Pathak

नकारात्मक लोग ! ---------------------------  हम नकारात्मक लोगों ने भाजपा की मजबूत आई टी सेल के होते हुए लॉक डाउन में घोषित अल्प सहायता का जमकर विरोध किया। सरकार को झुकना पड़ा और सहायता राशि एक लाख 70 हजार करोड़ हुई। हम नकारात्मक लोगों ने  मजदूरों के पैदल पलायन पर लगातार  लिखा विवश होकर केंद्र व राज्य सरकारों को बसों का इंतजाम करना पड़ा। भूखे प्यासे मजदूरों से बसों के किराया चार्ज करने के खिलाफ लिखा तो बसें फ्री हुई।             हम नकारात्मक लोगों ने लॉक डाउन से गरीबों को होने तकलीफ की पोस्ट लिखी तो प्रधानमंत्री ने मन की बात में माफी मांगी l हम नकारात्मक लोगों ने किसान मजदूर छोटे छोटे पटरी व्यावसायी और फुटकर मेहनत मंजूरी करने वालों के जीवन यापन पर लॉक डाउन के दुष्प्रभाव के बारे में लिखा तो केंद्र सहित सभी राज्य सरकारों ने विभिन्न पैकेज की घोषणा करनी पड़ी l हम नकारात्मक लोगों ने आज जब यूपी में गाड़ी साफ करने वाले केमिकल  से  मजदूरों को नहलाते हुए अधिकारियों का सच दिखाते हुए कड़ी आपत्ति जाहिर की तो भक्तों ने हम लोगों को नकारात्मक...

जमात की असलियत और आरोप

Ashok Kumar Pandey भईया का लेख जमात की असलियत और आरोप (लम्बा है लेकिन प्लीज़ पढ़ें ज़रा ग़ौर से) —— तबलीगी जमात असल में इस्लाम के भीतर एक पुनरुत्थानवादी आंदोलन है। डीटेल में न जाएँ तो इनका मानना है कि इस्लाम मानने वालों को ऐसा जीवन जीना चाहिए जैसा मुहम्मद साहब के ज़माने में जिया जाता था। यानी पाँच वक़्त की नमाज़, मर्द मूँछ साफ़ रखें बाक़ी दाढ़ी बढ़ने दें, घुटनों से ज़रा नीचे तक का पाजामा और ढीला कुर्ता पहनें, औरतें दोयम दर्जे पर घर के भीतर रहें, पर्दा करें, बच्चे पैदा करें और पालें, संगीत हराम है। सिद्धांत में इसे छः शिक्षाओं में व्यक्त किया जाता है - कलमा, सलाह, इल्म ओ ज़िक्र, इकराम ए मुस्लिम, इख़लास ए नीयत और दावत-ओ-तबलीग़। राजनीति और फ़िक़्ह (इस्लामी क़ानून) से खुद को अलग बताते हैं और क़ुरान तथा हदीस पर भरोसा करते हैं। कुल मिलाकर ये इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देते हैं और पढ़े-लिखे मुसलमान क़तई नहीं चाहते कि उनकी औलादें इनके चक्कर में पड़ें। 1926 में हिंदुस्तान में ही यह जमात बनी थी और अब दुनिया भर में फैली है। लाखों लोग जुड़े हैं। धन भी अकूत है। अरब मुल्कों ने ख़ूब बढ़ावा दि...

पंडित जी बोले मास्क लाया या नहीं= Dr ईश्वर राही

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मास्क टर्न -टर्न -टर्न । अचानक मोबाईल की घंटी बज उठी । मेंने अनमने सा मोबाईल अपने पास सरका दिया । जितने में फोन सुनने को हाथ बढ़ाया कि फोन कट गया । कमरे की खिड़की से बाहर झाँका तो सूरज की किरणें मेरे बिस्तर पर खेल रही थी । मेंने सामने दीवार पर घड़ी पर नजर डाली तो वे सुबह के 8:30 बजे बता रही थी । जबसे मेँ कोरोना वायरस के आतंक के कारण परिवार सहित अपने गाँव आया हूँ तब से ईसी तरह आराम से उठता हूँ । मेंने ये जानने कि उत्सुकता मेँ फोन को देखा कि आज किसने सुबह -सुबह याद किया हें । मेँ मिसड कॉल देख कर चौंक गया । अरे पंडित जी , वे भी इतनी सुबह । पंडित जी मेरे पुराने मित्र हे । एक बहुत ही नेक दिल इंसान हे । हम दोनों अच्छे मित्र हे परन्तु हमारे विचारों मेँ छतीस का आंकड़ा हे । वे ठहरे आस्थावान , पूजापाठी , कर्मकांडी ओर मेँ हूँ  विज्ञानिक सोच को मानने वाला नास्तिक , अन्धविश्वास ओर कर्मकांड का घोर विरोधी ।                मेँ सहम गया था । मुझे पूरा यकीन था कि इन्होंने अवश्य ही फेसबुक पर मेरी इनकी विचारधारा की बखिया उघाड़ने वाली मेरी कोरोना वायरस पर कविता...

साथी सचिन तुम जिन्दा हो =SFI

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इतनी यादें तेरी पर तू ही मेरे पास नहीं….. इतनी बातें है पर करने को तू ही साथ नहीं  Remembering comrade Sachin on his 24th   birth anniversary.  साथी सचिन तुम मरे नहीं तुम जिंदा हो ०एसएफआई का स्वाधीनता-जनवाद-समाजवाद का सफेद झंडा थामे लाखों विद्यार्थियों के दिलों में..... ०शिक्षा व संघर्ष के नारे के साथ इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाती लाखों-करोड़ों आवाजों में.... 30मई 2019को एस० एफ० आई० हिमाचल प्रदेश राज्य सचिवालय सदस्य व जिला सचिव सिरमौर #सचिन_ठाकुर की सडक़ हादसे में म्रत्यु हो गई।1अप्रैल 1996 को दीद बग्गड नामक गांव में गरीब किसान राम सिंह के घर जन्म लिया। पास में ही स्थित दीद बग्गड  स्कूल से 8वीं तक की शिक्षा ग्रहण की।9वीं और दसवीं कक्षा की पढाई पनार स्कूल से की। पढाई में बचपन से ही होनार था। 11वीं कक्षा की पढाई के लिए जमटा स्कूल में दाखिला लिया।12वीं कक्षा भी जमटा से ही  प्रथम श्रेणी से उतीर्ण की। इसी विच वामपंथी छात्र संगठन एस०एफ०आई० के संपर्क में आए।उसके बाद स्नातक करने के लिए नाहन महाविद्यालय में 2013  (रुसा का पहला बैच) में दाखिला लिया।इसी...