वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

आज दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर मे हैदराबाद
(1)दलितों को ग्रामीण और शहरी आम संपत्ति संसाधनों को हासिल करने और इस्तेमाल में समान हिस्सेदारी देने में सक्षम बनाने के लिए कानून बनाएं और उन्हे सख्ती से लागू करें।
(2)भोजन, सुरक्षित पेयजल, कपड़े, आवास, सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक सेवाओं की सुलभ पहुंच के साथ-साथ महिलाओं और पुरुषों के स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ी सार्वजनिक सुविधाएं और स्पेस के अधिकारों की रक्षा की जाए।
ग्रामीण भूमिहीनों को जीवनयापन लायक मजदूरी और 5 एकड़ भूमि का स्वामित्व सुनिश्चित किया जाए; यह भी सुनिश्चित करें कि अनुसूचित जाति को उन्हें आवंटित सभी भूमि का कब्ज़ा मिल जाए।
(3)बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 लागू करें और बाल श्रम को तुरंत समाप्त करें।
(4)सभी सरकारी खरीद और ठेकों में अनुसूचित जाति के लिए आनुपातिक आरक्षण सुनिश्चित करें। सरकारी और निजी संगठनों को आपूर्तिकर्ता विविधता और डीलरशिप विविधता को लागू करना होगा।
(5)नई शिक्षा नीति को वापस लें और सभी अनुसूचित जाति के लिए मुफ्त, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी दें। पर्याप्त छात्रवृत्तियों का शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करें। सभी सार्वजनिक और निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण कोटा लागू किया जाना चाहिए और शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक कानून बनाया जाना चाहिए।
(6)निजी क्षेत्र में आरक्षण अनिवार्य किया जाए। सरकारी क्षेत्रों में बैकलॉग को तुरंत भरा जाए और पदोन्नति में आरक्षण बहाल किया जाए।
(7)हाथ से मैला ढोने की प्रथा और हाथ से सफाई का काम करने की प्राथमिकता को समाप्त कर दिया जाना चाहिए और जो इसका पालन न करे उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जाए और सजा दी जाए।
(8)मनरेगा को बिना किसी शर्त और रुकावट के लागू किया जाए। लंबित वेतन का तुरंत भुगतान किया जाए, कार्यदिवस बढ़ाकर 200 प्रति वर्ष किया जाए। और मजदूरी 600/- प्रति दिन होनी चाहिए।
(9)एससी/एसटी पीओए को अक्षरशः लागू किया जाना चाहिए। अपराधियों को कानूनों के अनुसार सख्त सजा दी जानी चाहिए और प्रशासन के सदस्यों को, जो अपने कर्तव्यों में लापरवाही के दोषी पाए जाते हैं, उन्हे उचित सजा दी जानी चाहिए। अधिनियम के तहत अपराधियों को पुलिस स्टेशन से जमानत पाने के मामले में अयोग्य बनाया जाना चाहिए। शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित की जानी चाहिए।
(10)केंद्रीय बजट की उपयोजना में अनुसूचित जाति के लिए आवंटित धनराशि का इस्तेमाल केवल इसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए और राज्यों के लिए समान कानून बनाए जाने चाहिए। बजट आवंटन कुल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अनुपात के अनुसार किया जाना चाहिए। जनसंख्या और इन फंडों के डायवर्जन या गैर-उपयोग को एक आपराधिक अपराध बनाया जाना चाहिए। जातीय जनगणना कराई जाएगी।
(11)सामान्य जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना भी करायी जानी चाहिए
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