जातिगत उत्पीड़न के प्रश्न पर सीपीआई (एम) का स्पष्ट स्टैंड उसकी विचारधारा की मज़बूती

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 *रोहड़ू  में सीपीआई(एम ) नेताओं  का  रास्ता  रोकना:-- दलित वर्ग के मनोबल को तोड़ने का प्रयास ।* सीपीआई (एम ) ने जातिगत उत्पीड़न पर खुला स्टैंड ले कर हमेशा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता साबित की है   :-----आशीष कुमार संयोजक दलित शोषण मुक्ति मंच सिरमौर  हिमाचल प्रदेश की हालिया राजनीतिक घटनाएँ यह दिखाती हैं कि जब भी दलित समाज अपनी एकता, चेतना और अधिकारों के साथ आगे बढ़ता है, तब सवर्ण वर्चस्ववादी ताक़तें बेचैन हो उठती हैं। रोहड़ू क्षेत्र में घटित घटना इसका ताज़ा उदाहरण है — जब 12 वर्षीय मासूम सिकंदर की जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर हुई हत्या के बाद सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता राकेश सिंघा और राज्य सचिव संजय चौहान पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे, तब कुछ तथाकथित “उच्च” जाति के लोगों ने उनका रास्ता रोकने का प्रयास किया। यह केवल नेताओं को रोकने की कोशिश नहीं थी, बल्कि दलित वर्ग की सामूहिक चेतना और हिम्मत को कुचलने का सुनियोजित प्रयास था।अगर वे अपने मंसूबे में सफल हो जाते, तो यह संदेश जाता कि “जब हमने सिंघा और संजय चौहान को रोक लिया, तो इस क्षेत्र के दलितों की औक...

न्यूनतम वेतन की माँग को ले कर 3 दिसंबर को दिल्ली में गरजेंगे मिड डे मील वर्करज:--संदीप


 *न्यूनतम वेतन की माँग  को ले कर 3 दिसंबर को दिल्ली में गरजेंगे मिड डे  मील वर्करज*


मिड डे  मील वर्करज संबंधित सीटू नाहन  ब्लॉक की बैठक ब्लॉक अध्यक्ष संदीप की अध्यक्षता में की गई बैठक मे नाहन  ब्लॉक से 3 दर्जन के करीब लोगों ने भाग लिया , बैठक में मिड डे  मील यूनियन की जिला महासचिव निर्मला और सीटू जिला महासचिव आशीष कुमार मुख्य रूप से उपस्थित रहे। बैठक को सम्बोधित करते हुए यूनियन की जिला महसचिव निर्मला और अध्यक्ष संदीप ने कहा की  आज प्रदेश का मिड डे  मील वर्कर का केंदर की मोदी सरकार और प्रदेश की सरकारे लगातार शोषण कर रही है । बैठक में मिड डे  मील वर्करज की स्थाई नौकरी और समाजिक सुरक्षा की माँग  और 2013 में दिल्ली में आयोजित  45 वें श्रम  सम्मेलन के अनुसार इनको स्थाई कर्मचारी बनाने का जो दावा किया था लेकिन वे आज तक कागजों में हि सीमित हो गया। सीटू जिला महसचिव आशीष कुमार ने अपने सम्बोधन में प्रदेश की सुखु सरकार और केंदर की मोदी सरकार पर तीखा हमला किया  आशीष कुमार ने कहा  की सरकारें  महिला सशक्तिकरण की बाते तो करती है लेजिन हकीकत  इससे बहुत दूर है। मिड डे  मील कर्मियों को सबसे कम मानदेय मिलता है मगर वो भी समय से नहीं मिलता है जोकि  ऍबे आप में बहुत शर्म की बात है । आशीष कुमार ने कहा की यूनियन को माननीय न्यायलय ने 10 महिने के बजाय 12 महीने वेतन देने का आदेश दिया था मगर पहले जयराम सरकार और बाद में प्रदेश में कांग्रेस की सुखु सरकार ने इसे वर्करज को ना देने में अपनी रुचि दिखाई , जोकि  प्रदेश में सबसे कम वेतन पर काम करने वाले वर्ग के प्रति उनका नजरिया दिखाता है । आज बैठक में यूनियन स्तर  पर ये निर्णय लिया गया की 3 दिसंबर को दिल्ली में जिला सिरमौर से भी सेंकड़ों की संख्या में मिड डे  मील वर्करज सीटू के  बैनर तले इस रैली में भाग लेंगे। रैली में मुख्यात मिड डे  मील कर्मियों की इन मांगो को रखा जायेगा:-----


*न्यूनतम वेतन:* रसोइयों को उचित और न्यूनतम वेतन का प्रावधान किया जाए।

*12 महीनों का वेतन*: केवल 10 महीने नहीं, बल्कि पूरे साल के 12 महीने का वेतन दिया जाए।


*नियमित भुगतान*: प्रतिमाह 1 से 7 तारीख के बीच नियमित रूप से वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।


*स्थायी रोजगार का दर्जा:* 45वें श्रम सम्मेलन के अनुसार सभी वर्करों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।


*सामाजिक सुरक्षा लाभ:* सभी वर्करों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ लागू किया जाए।


*निजीकरण पर रोक*: मिड-डे मील की योजना में किसी भी प्रकार का निजीकरण नहीं होना चाहिए और न ही केंद्रीय किचन की प्रणाली लागू की जानी चाहिए।


*छंटनी पर रोक*: वर्करों की छंटनी पर रोक लगाई जाए।

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