वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

मिड डे मील वर्करज संबंधित सीटू नाहन ब्लॉक की बैठक ब्लॉक अध्यक्ष संदीप की अध्यक्षता में की गई बैठक मे नाहन ब्लॉक से 3 दर्जन के करीब लोगों ने भाग लिया , बैठक में मिड डे मील यूनियन की जिला महासचिव निर्मला और सीटू जिला महासचिव आशीष कुमार मुख्य रूप से उपस्थित रहे। बैठक को सम्बोधित करते हुए यूनियन की जिला महसचिव निर्मला और अध्यक्ष संदीप ने कहा की आज प्रदेश का मिड डे मील वर्कर का केंदर की मोदी सरकार और प्रदेश की सरकारे लगातार शोषण कर रही है । बैठक में मिड डे मील वर्करज की स्थाई नौकरी और समाजिक सुरक्षा की माँग और 2013 में दिल्ली में आयोजित 45 वें श्रम सम्मेलन के अनुसार इनको स्थाई कर्मचारी बनाने का जो दावा किया था लेकिन वे आज तक कागजों में हि सीमित हो गया। सीटू जिला महसचिव आशीष कुमार ने अपने सम्बोधन में प्रदेश की सुखु सरकार और केंदर की मोदी सरकार पर तीखा हमला किया आशीष कुमार ने कहा की सरकारें महिला सशक्तिकरण की बाते तो करती है लेजिन हकीकत इससे बहुत दूर है। मिड डे मील कर्मियों को सबसे कम मानदेय मिलता है मगर वो भी समय से नहीं मिलता है जोकि ऍबे आप में बहुत शर्म की बात है । आशीष कुमार ने कहा की यूनियन को माननीय न्यायलय ने 10 महिने के बजाय 12 महीने वेतन देने का आदेश दिया था मगर पहले जयराम सरकार और बाद में प्रदेश में कांग्रेस की सुखु सरकार ने इसे वर्करज को ना देने में अपनी रुचि दिखाई , जोकि प्रदेश में सबसे कम वेतन पर काम करने वाले वर्ग के प्रति उनका नजरिया दिखाता है । आज बैठक में यूनियन स्तर पर ये निर्णय लिया गया की 3 दिसंबर को दिल्ली में जिला सिरमौर से भी सेंकड़ों की संख्या में मिड डे मील वर्करज सीटू के बैनर तले इस रैली में भाग लेंगे। रैली में मुख्यात मिड डे मील कर्मियों की इन मांगो को रखा जायेगा:-----
*न्यूनतम वेतन:* रसोइयों को उचित और न्यूनतम वेतन का प्रावधान किया जाए।
*12 महीनों का वेतन*: केवल 10 महीने नहीं, बल्कि पूरे साल के 12 महीने का वेतन दिया जाए।
*नियमित भुगतान*: प्रतिमाह 1 से 7 तारीख के बीच नियमित रूप से वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
*स्थायी रोजगार का दर्जा:* 45वें श्रम सम्मेलन के अनुसार सभी वर्करों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
*सामाजिक सुरक्षा लाभ:* सभी वर्करों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ लागू किया जाए।
*निजीकरण पर रोक*: मिड-डे मील की योजना में किसी भी प्रकार का निजीकरण नहीं होना चाहिए और न ही केंद्रीय किचन की प्रणाली लागू की जानी चाहिए।
*छंटनी पर रोक*: वर्करों की छंटनी पर रोक लगाई जाए।
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