वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

राजीव सहजल का भेदभाव पर शिकायत न करना दुर्भाग्यपूर्ण

दलित शोषण मुक्ति मंच के राज्य सह संयोजक आशीष कुमार ने अभी हाल ही में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री राजीव सेहजाल के विधानसभा के अंदर जो उन्होंने ने बताया कि वे जब नाचन के दौरे पर थे तो उनके साथ भेदभाव हुआ उन्हें मन्दिर में जाने से रोका गया ये आज 21 वी सदी में किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा भेदभाव निंदनीय है, जिसकी दलित शोषण मुक्ति मंच निंदा करता है, परन्तु सबसे ज़्यादा दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि एक कैबिनेट स्तर के मंत्री ने इस मुद्दे को आज तक छुपाया और उस पर कोई एक्शन नहीं लिया ये राजीव सहजल द्वारा दलित समाज के लोगों का मनोबल तोड़ने जैसा काम किया है, । हिमाचल विधान सभा में 17 विधायक जो दलित समाज से चुन कर जाते है उनको चुन कर  विधानसभा में इसलिए भेजा जाता है कि वे अपने समाज के लोगों की आवाज बने परन्तु आजादी के 70 वर्षों बाद भी वे लोग ऐसा नहीं कर पाए,  बाबा साहब अम्बेडकर  के सविधान से ये बराबरी का हक तो मिल गया परन्तु हम उसको लागू नहीं करवा पाए , बड़ी शर्म की बात तो ये है कि जो प्रतिनिधि दलित समाज से विधानसभा में चुन कर जाते है विधानसभा में जाने के बाद ये लोग अपने समाज का नहीं बल्कि अपनी राजनेतिक पार्टियों के प्रतिनिधि बन कर रह जाते है, ।  हमे राजीव सहज़ल के साथ हुए इस तरह के बर्ताव का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करते , परन्तु उनका इस विषय में आधिकारिक रूप से  शिकायत न करना दलित समाज के मनोबल को गिराने का काम किया है, दलित शोषण मुक्ति मंच का ये भी मानना है कि जब बहुचर्चित केदार सिंह जिंदाण हत्याकांड हुआ था उस समय जो दलित समाज का प्रतिनिधि कर रहे 17 विधायक और पूर्व विधायक ऐसे रहे जैसे  उन्हें सांप सूंघ लिया हो,राजीव सहजल। जिस मनुस्मृति की प्रशंसा कर रहे थे और वाम पंथ के लेखकों को समाज को विकृत करने वाला बता रहे थे, तो ये भेदभाव मंत्री जी के साथ उसी  मनुवादी सोच का जीता जागता उदाहरण है जिसके चलते उनको मंदिर में नहीं घुसने दिया गया, और जीदान हत्या काण्ड में जो दलित और शोषित वर्ग के साथ खड़े हुए वो  एकमात्र वामपंथी।विधायक थे जो उसी विचारधारा से है जिसको मंत्री जी समाज को  विकृत करने वाला बता रहे थे।
वाम पंथी विधायक राकेश सिंघा जी जिस तरह से शोषित   दलित समाज के  साथ खड़े रहे अपितु सड़क से लेकर विधानसभ तक इस मुद्दों को उठाया उसको दलित समाज हमेशा याद रखेगा। परन्तु 17 विधायकों में से एक ने भी जिन्दान हत्या काण्ड पर कुछ नहीं बोला और जो बोले वे एक।मात्र वामपंथी।विधायक थे, दलित समाज के साथ भेदभाव  हर तरह का शोषण होता है ये तो दुर्भाग्यूर्ण है परन्तु सबसे ज़्यादा दुर्भाग्यपूर्ण  दलित समाज के चुने हुए प्रतिनिधियों का रवैया है जो अपना वोट बैंक बचाने के लिए ख़ामोश रहते है। दलित शोषण मुक्ति मंच मांग करता है कि प्रदेश में एक नहीं बहुत उदाहरण ऐसे है जिसमें आए दिन
दलितों के साथ अत्याचार होता है , जिसमें मुख्य मंत्री का।इलाका नंबर एक की पोजिशन पर है, । दलित शोषण मुक्ति मंच शांता कुमार जी।का।भी आभार प्रकट करता है कि उन्होंने सार्वजनिक मंच पर ये बात कबूली और सरकार को।चेताया, दलित शोषण मुक्ति मंच सरकार से मांग करता है कि इस तरह के भेदभाव को रोका जाए। बल्कि मुख्यमंत्री।ये सुनिश्चित करे कि जब भी वो किसी दौरे पर हो तो अपने साथ दलितों को मंदिर में  सामूहिक प्रवेश करवाए।

आशीष कुमार 
राज्य सह संयोजक
दलित शोषण मुक्ति मंच

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