वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*

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*वेलफेयर डिपार्टमेंट का कार्य देने से महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्य उदेश्य होंगे प्रभावित*   *जब काम ही आंगनवाड़ी वर्कर ने करना है तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का नहीं है कोई औचित्य* *आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के हितों का हो संरक्षण* *Press note:----* आंगनवाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन संबंधित सीटू की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल और वीना शर्मा ने जारी एक प्रेस ब्यान में कहा की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर वेलफेयर विभाग का काम थोपने का निर्णय अत्यधिक चिंताजनक है।  कार्यकर्ताओं से अतिरिक्त काम करवाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे बाल विकास विभाग के कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वीना  शर्मा , नीलम जसवाल  ने बताया की  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मुख्य कार्य बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की देखभाल करना है, न कि वेलफेयर विभाग के कार्यों को संभालना। यदि वेलफेयर विभाग का कार्य भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ही करना है  तो तहसील कल्याण अधिकारी के पद  का क्या औचित्य और वेलफेयर डिपार्टमेंट का क्या कार्य रह जाता...

संसार में जब मानवता संकट में होती हैं, धर्म के ठेकेदार मैदान छोड़कर छुप जाते हैं, विज्ञान लड़ता है

संसार में जब मानवता संकट में होती हैं, धनी व धर्म के ठेकेदार मैदान छोड़कर छुप जाते हैं, विज्ञान लड़ता है
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आज कोरोना के कारण मानव समाज मुश्किल में है. हर देश में मेडिकल क्षेत्र व रिसर्च के वैज्ञानिक देवदूत बन कर मानवता की सेवा कर रहे हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर आम व्यक्ति से लेकर धर्म के उन ठेकेदारों की भी जान बचाने में लगे हुए हैं जो हर दिन विज्ञान व वैज्ञानिक को नकारते व दुत्कारते हैं, जो हर पल वैज्ञानिक सोच की धज्जियां उड़ाते हुए धार्मिक अंधविश्वासों को स्थापित करते हैं.
 इन्हें अच्छी तरह पता है कि रोग के ऐसे भयावह प्रकोप में उन्हें काल्पनिक ईश्वर बचाने नहीं आएगा और वैज्ञानिक ही उनको जीवन दान देंगे.     
       वे कितने महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर पल भर में लाखों लोगों को मार देने वाली बीमारियों के टीके इजाद किए वरना यह धरती मरघट बन गई होती.
         भारत में हर साल ऐसे धार्मिक स्थलों को सरकार व कारपोरेट घरानें अरबों रुपये का अनुदान देते है. श्रद्धालुओं से करोड़ों रुपयों का दान मिलता है लेकिन प्राकृतिक विपदा के समय में धर्म के ये ठेकेदार मैदान छोड़कर भाग जाते हैं और आम व्यक्ति और वैज्ञानिक ही जूझते नजर आते हैं. अरबों रुपयों पर सांप की तरह कुंडली मार कर बैठे ये लोग ऐसी विपदा में अठन्नी भी नहीं निकालते हैं.
   धर्म के नाम पर ये दलित व महिला का अपमान, आपसी नफरत, झूठ, अंधविश्वास व अवैज्ञानिक तथ्यों की घुट्टी पिलाकर इंसानियत का भारी नुकसान कर रहे हैं.
        ढाई हजार साल पहले  तथागत बुद्ध से लेकर आधुनिक दुनिया के कई महान विचारकों व वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं है ,संसार का सृजन किसी काल्पनिक ईश्वर ने नहीं किया बल्कि इसका विकास हुआ है. प्रकृति के नियमों से संसार चलता है और इनका पालन करना ही धम्म है लेकिन इन सारे तथ्यों को पैरों तले रौंदते हुए धर्म के ठेकेदार ईश्वर के नाम पर लूट और वैज्ञानिक सोच का गला घोंटते जा रहे हैं.
       आखिर इस बार भी आशा की किरण विज्ञान ही है. कोई मजाक समझ रहे हैं, कोई यज्ञ हवन पूजा कर रहे हैं, कोई गोमूत्र की घुट्टी पिला रहे हैं, कोई सेनेटाइजर की जमाखोरी व मास्क की कालाबाजारी कर लूट रहे हैं तो दूसरी ओर मानवता के रक्षक वैज्ञानिक कोरोना का टीका बनाकर परीक्षण में लगे हुए हैं .सरकार व साइंस की गाइडलाइंस का पालन करें, घबराएं नहीं. हर बार की तरह जीत तर्क, विवेक और विज्ञान की ही होगी.
सबका मंगल हो...सभी निरोगी हो...जय विज्ञान
        प्रस्तुति : डॉ एम एल परिहार
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