
राजगड , पच्छाद में किसान सभा के पदाधिकारियों ने पच्छाद खण्ड के अध्यक्ष हिमाचल किसान सभा के बाबू राम शास्त्री और सीटू जिला कोशाध्यक्ष आशीष कुमार और नौजवान सभा के जिला कमेटी सदस्य अरुण कश्यप ने पिछले 4 दिनों से पच्छाद क्षेत्र का दौरा किया जिसकी जानकारी देते हुए बाबू राम शास्त्री जी ने बताया कि किसान सभा के विस्तार व के लिए सदस्यता अभियान आरंभ किया जा रहा है जिसमे प्रथम चरण में राजगड खण्ड पझौता, कुडू लवाना, देवठी मझगांव,माहल बखोग,टाली भूजल खण्ड राजगढ , नैना टिककर, प्रेमनगर, दरोठि पंचायत खण्ड सरांह, एरिया में में पांच हजार नए सदस्यों को किसान सभा में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है । यह बात किसान सभा के खण्ड पच्छाद किसान सभा के अध्यक्ष बाबुराम शास्त्री जी राजगड और पच्छाद के पंचायतों के दौरान की गई बैठकों में दी बाबू राम शास्त्री ने बताया कि राजगड, पच्छाद क्या जिला सिरमौर में तीन प्रमुख फसलों टमाटर, लसुहन और अदरक की सर्वाधिक पैदावार होती है परंतु सरकार द्वारा सिरमौर के किसानों के हितों के लिए आजतक कोई कारगर पग नहीं उठाए गए हैं । जबकि सिरमौर में इन तीन फसलों पर आधारित प्रोसेंसिंग प्लांट और सीए स्टोर की बहुत आवश्यकता है । बैठकों को संबोधित करते हुए सीटू जिला कोशाध्यक्ष आशीष कुमार ने बताया कि इस बार किसानों का लसुहन न्यूनतम 35 रूपये और टमाटर कीे क्रेट 90 रू बिकी । जिससे किसानों को लागत भी नहीं मिल पाई है । बताया कि बेचड़ का बाग में बीते दिनों पुराना अदरक 3.रूपये 25 पैसे प्रतिकिलोग्राम बिका । उचित दाम न मिलने की स्थिति में किसानों की स्थिति इस वर्ष काफी दयनीय है । सिरमौर में तीन अनाज मंडियां कार्यरत है जिनमें किसानों की समस्याओं को देखते हुए सीए स्टोर इत्यादि सुविधाओं का सृजन किया जाना चाहिए । बताया कि सिरमौर के निचले क्षेत्रों में धान व गेंहूं तथा उपरी क्षेत्रों में टमाटर, लसुहन व अदरक का काफी मात्रा में उत्पादन किया जाता है । बाबू राम शास्त्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर की संयुक्त किसान सभा द्वारा 23 फसलों को शामिल किया गया है जिसमें सात अनाज, सात दलहन और चार अन्य गन्ना जूट इत्यादि शामिल है परंतु इसमें टमाटर, लसुहन व अदरक शामिल नहीं है । उन्होने बताया कि केरल की सरकार ने 16 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है । हिमाचल प्रदेश सरकार को भी केरल राज्य के अध्ययन करने के लिए अधिकारियों को टीम को भेजना चाहिए और केरल राज्य की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में उत्पादित होने वाली फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत लाना चाहिए ताकि किसानों की आर्थिकी में सुधार हो सके । हिमाचल में 20 लाख मिट्रिक टन सब्जियों, 16 लाख मिट्रिक टन अनाज और 10 लाख मिट्रिक टन फलोत्पादन होता है । सबसे अहम बात यह है कि किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए बहुत परेशानी पेश आ रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य न होने पर कई बार औने-पौने दाम पर उत्पाद बेचने को मजबूर होना पड़ता है । बैठकों में ये निर्णय लिया गया कि 10 मई को राजगड और 25 मई को सरांह में किसान सभा के क्षेत्रीय सम्मेलन किये जायेंगे , जिसमे अगले तीन वर्षों के लिए आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाएगी
बैठक में किसान सभा के दिनेश शर्मा,नैन सिंह, राजकुमार , परसराम , राजेन्द्र अरुण कश्यप, सुमित्रा , नीता राम, हरिचंद , भारती, सोहन सिंह ने भाग लिया ।
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